याचिका दायर करने वाले दिल्ली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और कुछ वकील हैं। याचिका कर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में इस मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष होने पर आशंका जताई है। विदित हो पीड़ित के इलाज से लेकर उसके अंतिम संस्कार तक और मीडिया के कवरेज पर रोक लगाने सहित लगातार यूपी सरकार और पुलिस विवादों में बनी रही। जिसके बाद यूपी सरकार ने सोमवार को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष राजा मानवेंद्र सिंह ने देश के सबसे चर्चित निर्भया केस में आरोपियों के वकील रहे एपी सिंह को हाथरस कांड के आरोपियों की पैरवी के लिए वकील नियुक्त किया है, तो दूसरी ओर निर्भया के गुनाहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचने वाली सीमा कुशवाहा पीड़िता की ओर से पैरवी करेंगी।
इस मामले को लेकर कई संगठन और कई सामाजिक कार्यकर्तओं में जबरदस्त नाराज़गी है। एक अन्य रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी जिनका नाम चंद्र भान सिंह है वे भी हाथरस के कथित सामूहिक बलात्कार और पीड़िता के इलाज व पुलिस की भूमिका को लेकर सवाल उठाते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पूर्व न्यायिक अधिकारी ने अपनी जनहित याचिका में प्रदेश सरकार से अलग किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से इस केस की जांच कराने का आग्रह किया है।
आपको बतादें हाथरस जिले के बुलगढी गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित युवती के साथ चार लड़कों ने कथित रूप से गैंगरेप किया था। पीड़िता की इलाज के दौरान 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। मौत के बाद पुलिस ने रात के वख्त ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसको लेकर ज़बरदस्त बवाल हुआ था।