1. प्रकृति के कानून का उल्लंघन
प्रकृति के मुताबिक शादी हमेशा दो अपोजिट सेक्स के प्रति होता है। एक ही सेक्स के लोग शादी करते हैं तो वो प्रकृति के कानून का उल्लंघन करते हैं। जो सामाजिक, वैज्ञानिक और साइकलोजिक्ल तौर पर भी गलत है। समलैंगिक शादी इन स्तरों पर घातक साबित हो सकती है। क्योंकि समाज उसे पूर्णरूप से मानने की सहमति नहीं देती है।
2. समलैंगिक के बीच संबंध को विवाह नहीं कहते
संसार के नियमों के मुताबिक दो समान सेक्स यानि स्त्री-स्त्री और पुरुष-पुरुष के बीच जो संबंध बनते हैं उसे शादी का नाम नहीं दिया जा सकता है। समलैगिंक शादियां ना केवल समाज के नियमों को तोड़ती है। बल्कि ये प्रकृति के बनाए कानून का भी उल्लंघन करती है। क्योंकि शादी हमेशा एक स्त्री और पुरुष के बीच होती है। इसलिए शादी या विवाह शब्द देना गलत है और समाज के लिए घातक भी।
3. समलैंगिक माता-पिता और बच्चों का भविष्य
अक्सर समलैंगिक जोड़ा भी दूसरे आम जोड़ों की तरह बच्चों को पालने की इच्छा रखते हैं। लेकिन, एक समलैंगिक जोड़ों की बीच बच्चों का विकास और भविष्य प्रभावित होता है। क्योंकि मां-बाप का दोनों का प्यार उन्हें एक-साथ नहीं मिल पाता है। जो कि एक प्रकार से भविष्य के लिए घातक है।
4. समाज में बढ़ता है बांझपन
प्रकृति के नियमों के मुताबिक एक बच्चे को जन्म केवल महिलाएं ही दे सकती है। लेकिन, समलैंगिक शादियों में दंपत्ति प्राकृतिक तौर पर बांझपन का शिकार होते हैं।
5. सेरोगेसी के बाजार को मिलता है बढ़ावा
जब एक ही सेक्स के इंसान के बीच समलैंगिकता को बढ़ावा मिलता है तो वह दंपति प्राकृतिक तौर पर बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है। मगर वो बच्चा पालने के इच्छुक होते हैं। इस क्रम वे सेरोगेसी या किराए के कोख का इस्तेमाल करते हैं। और वे अपने शौक को पूरा करने के लिए सेरोगेसी के बाजार को बढ़ावा देते हैं।