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ब्रिक्स सम्मेलन में भी हावी रहेगा डोकलाम विवाद! जानें दोनों देशों के लिए कितना है महत्वपूर्ण

एशिया पसिफिक सेंटर फॉर सिक्यॉरिटी स्टडीज के प्रफेसर मोहन मलिक ने माना चीन के मुकाबले भारत के पास है मजबूत नेतृत्व।

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ashutosh tiwari

Sep 03, 2017

modi brics

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9वें ब्रिक्स सम्मेलन के लिए आज चीन पहुंचेंगे। ब्रिक्स सम्मेलन चीन के जियामेन में 3 से 5 सितंबर तक चलेगा। भारत और चीन के अलावा इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और रूस के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने से पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'कद' डोकलाम विवाद सुलझने से बढ़ गया है। पीएम मोदी अपने बढ़े हुए कद के साथ चीन के लिए रवाना होंगे।

NDB के अध्यक्ष हैं एक भारतीय

ब्रिक्स में चीन ने अपने सदस्य देशों के सहयोग को देखते हुए इस साल सम्मेलन को अपने देश में आयोजित किया है। वर्तमान में जी-20 और ब्रिक्स के अलावा कोई और संस्था ऐसी नहीं है जो बड़े पैमाने पर लोगों ठोस लाभ पहुंचा सके। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिक्स के New Development Bank के एक अध्यक्ष भारतीय हैं और जिसका मुख्यालय चीन में है और ये बैंक तेजी से प्रगति भी कर रहा है। इस बैंक ने सौर, पवन और पनबिजली बिजली उत्पादन पर ध्यान देने के साथ अन्य 7 परियोजनाओं के लिए 1.5 अरब डॉलर के का लोन जारी किया है। 1.4 अरब डॉलर की परियोजनाओं के दूसरे क्लस्टर को अभी तक एनडीबी ने बाढ़ नियंत्रण और ग्रामीण जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं NDB बढ़े स बढ़ा लोन देने के लिए 6 महीने का वक्त लगाता है। वहीं विश्व बैंक जैसी संस्थाएं औसतन लोन को देने के लिए भी 2 साल का समय लगाती हैं।

डोकलाम पर बातचीत से बनेगी बात
वहीं इन सबसे अलग ब्रिक्स सम्मेलन में भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे पर जरूर कोई बातचीत हो सकती है। क्योंकी भारत ऐसा पहला ऐशियाई देश बना है जिसने पिछले 3 साल के अंदर पहली बार चीन को अपना सामर्थ्य दिखा दिया है। माना जा रहा है कि सम्मेलन के दौरान जब पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात होगी तो डोकलाम से जुड़े किसी पहलू पर बात ना करें और दोनों के बीच आपसी बातचीत से संबंध बनाने की कोशिश करें।

चीनी अधिकारी ने माना भारत का है मजबूत नेतृत्व
हॉनलूलू स्थित एशिया पसिफिक सेंटर फॉर सिक्यॉरिटी स्टडीज के प्रफेसर मोहन मलिक ने एक अखबार से बातचीत में बताया है, 'शी की अपेक्षा मोदी (डोकलाम के बाद) बढ़े 'कद' और अपने मजबूत नेतृत्व के प्रमाण के साथ चीन जाएंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'यह दौरा मई में चीन के बेल्ट ऐंड रोड फोरम में शामिल होने से और तमाम धमकियों के बावजूद चीन की सेना (PLA) से घबराकर दूर होने से इनकार किए जाने के बाद आया है।'

आतंकवाद पर घिरेगा चीन ?
इसके अलावा आतंकवाद के मुद्दे पर भी चीन से बातचीत होगी। सम्मेलन में आंतकवाद के विरोध पर होने वाली बातचीत को लेकर चीन के कूटनीतिज्ञों की नजर प्रधानमंत्री मोदी पर होगी। पीएम मोदी BRICS में अपने संवाद में इस मुद्दे को कैसे डील करेंगे। चीन को डर है कि मोदी पाकिस्तान का नाम ले सकते हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय ने दी धमकी

हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय ने पहले ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि अगर ऐसा कुछ हुआ तो वह आपत्ति दर्ज कराएगा। आपको बता दें कि पीएम मोदी के चीन जाने से कुछ दिन पहले ही दोनों देशों की सहमति से डोकलाम विवाद को सुलझा लिया गया था, लेकिन चीन ने इसके बाद भी डोकलाम में सड़क निर्माण को रोके जाने को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।

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