अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान की परमाणु नीतियों के विरोध में मई में अमरीका को इस समझौते से अलग कर लिया था। उसी समय उन्होंने ईरान पर प्रतिबंधों की धमकी दी थी। अब अमरीका ने 5 नवंबर से ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के अपने इरादे की घोषणा की है।अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गेम ऑफ थ्रोन’ की स्टाइल में अपना एक पोस्टर ट्वीट किया, जिसमें लिखा गया है कि ‘प्रतिबंध फिर से आ रहे हैं।’ बता दें कि जुलाई, 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों के बीच परणाणु समझौता हुआ था। उसके बाद अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने समझौते के तहत ईरान को परमाणु कार्यक्रम खत्म करने के बदले में अमरीकी बैन हटा लिया था।
अमरीकी विदेश सचिव माइक पोम्पियो ने कहा कि भारत जैसे देशों को छूट मिलने पर फिलहाल सहमति दी गई है लेकिन उन्हें अगले 6 महीने में ईरान से तेल आयात को शून्य करने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सहित आठ महत्वपूर्ण देशों ने ईरान से तेल का आयात क्रमिक रूप से घटाने की सहमति व्यक्त की है। तेल आयात ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध 5 नवंबर से शुरू होंगे। आपको बता दें कि भारत, ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। पहले पायदान पर चीन है। अमरीका की चेतावनी के बाद भारत को अब ईरान से कच्चे तेल की खरीद को सालाना 15 मिलियन टन तक सीमित करना होगा। पहले अमरीका चाहता था कि भारत सहित अन्य देश 4 नवंबर को ईरान से तेल खरीदना पूरी तरह बंद कर दें। आपको बता दें कि गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि अमरीका को मालूम है भारत की सकल घरेलू वृद्धि को बनाए रखने के लिहाज से ईरानी तेल का व्यापार अहम है।
नई दिल्ली ने अपनी अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति के प्रतिकूल प्रभाव के कारण ईरान से तेल आयात जारी रखने पर दबाव डाला था। बता दें कि सितंबर में भारत-यूएस 2 + 2 वार्ता के दौरान, अमरीका ने भारतीय पक्ष से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना खुद वाशिंगटन के हित में नहीं है। उस समय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और माइक पोम्पियो ने ईरान से तेल आयात जारी रखने के मुद्दे पर चर्चा की थी। बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। भारत के कच्चे तेल की कुल जरूरतों का 85 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की आवश्यकताओं का 34 प्रतिशत आयात से पूरा किया जा रहा है।