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‘वन-चाइना पॉलिसी’ पर भारत मनवा सकता है अपनी शर्तें

भारत चाहता है कि चीन उन प्रॉजेक्ट्स से दूर रहे,जो भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं।

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Mohit Saxena

Jun 08, 2018

modi

'वन-चाइना पॉलिसी'पर भारत मनवा सकता है अपनी शर्तें

नई दिल्ली। चीन ने भारत से 'वन-चाइना पॉलिसी' पर समर्थन मांगा है। उसका मानना है कि हाल में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद हालात में काफी सुधार आया है। वन-चाइना पॉलिसी में केवल पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को पहचाना जाता है और ताइवान या रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता नहीं दी जाती। सूत्रों के अनुसार इसके जवाब में भारत ने कहा है कि वह चाहता है कि चीन उन प्रॉजेक्ट्स से दूर रहे,जो भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं। इनमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई प्रोजेक्ट और चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर शामिल हैं।

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आपसी विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 9 जून को होने वाली इस वर्ष की दूसरी मीटिंग से पहले चीन ने भारत को बताया है कि वन-चाइना पॉलिसी को स्वीकार करने से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। ऐसा समझा जाता है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके चीन के समकक्ष वांग यी के बीच हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स की मीटिंग के दौरान हुई बातचीत में भी यह मुद्दा उठा था। भारत इस मामले में चीन और पाक की दोस्ती को लेकर काफी सर्तक है। चीन पाक को आर्थिक मदद देने के साथ सैन्य मदद भी दे रहा है। इसके साथ गिलगिटस्तान और बलुचिस्तान में दोनों मिलकर बड़ी अर्थव्यवस्था खड़ी करना चाहते हैं। इसे भारत बड़ी चुनौती मान रहा है। माना जा रहा है कि इस मामले में भारत कुछ शर्तें मनवा सकता है।
क्या है 'वन-चाइना पॉलिसी'

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को आमतौर पर चीन के रूप में जाना जाता है और चीन गणराज्य को आमतौर पर ताइवान के रूप में जाना जाता है। ये एक साझा इतिहास के साथ अलग राज्य हैं ।चीन ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता है। 1 928 में चीन को पुनर्मिलन करने के बाद,अधिकांश मुख्य भूमि चीन को गणराज्य चीन द्वारा शासित किया गया था। उस समय ताइवान द्वीप जापानी शासन के अधीन था। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में,जापान ने ताइवान को चीन गणराज्य में आत्मसमर्पण कर दिया। 1949 में चीन में एक गृहयुद्ध था, इस दौरान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की स्थापना हुई और सभी मुख्य भूमि चीन के नियंत्रण में आ गई। केवल ताइवान का द्वीप गणराज्य चीन के नियंत्रण में रही। 1992 में वन चाइन पॉलिसी को बढ़ावा मिला और इसके बाद चीन का नाम दिया। मगर इसके बावजूद ताइवान का क्षेत्र विवादित रहा।