10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आईएमएफ ने बजट से जताई आशा, कहा-भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का दौर पर मंदी नहीं

क्रिस्टलिनिया का कहना है कि भारत आर्थिक सुधारों की तरफ अहम कदम उठा रहा है,लेकिन यह दीर्षकालिक होंगे।

2 min read
Google source verification
kristalina georgieva

क्रिस्टलिनिया जॉर्जीवा

नई दिल्ली।भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। साल 2019 पर बड़े आर्थिक सुधारों जैसे जीएसटी और नोटबंदी का असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला है। अर्थव्यवस्था में आज जो दिख रहा है उसे आर्थिक मंदी नहीं कहा जा सकता है। यह कहना है आईएफएफ (IMF) मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलिनिया जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) का। क्रिस्टलिनिया का कहना है कि भारत आर्थिक सुधारों की तरफ अहम कदम उठा रहा है, लेकिन यह दीर्षकालिक होंगे।

FTAF की ग्रे लिस्ट से पाक के हटने की उम्मीद कम, आतंक पर ठोस कार्रवाई नहीं की

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वास्तव में 2019 में अचानक मंदी का अनुभव किया है। जॉर्जीवा ने शुक्रवार को यहां विदेशी पत्रकारों के एक समूह को बताया कि हम 2020 में 5.8 प्रतिशत (विकास दर) और फिर 2021 में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

जॉर्जीवा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत ने अहम सुधार किए हैं जो कि दीर्घ अवधि में देश के लिए लाभकारी है। मगर अभी उनका कुछ अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, एकीकृत कर प्रणाली और होने वाले डिमेनेटाइजेशन के साथ। ये ऐसे कदम हैं जो कुछ समय बाद फायदेमंद साबित होंगे।

निदेशक ने कहा कि भारत के लिए एक बात अहम है कि बजटीय राजस्व लक्ष्य से नीचे रहा है और इस बात को भारत और उनकी वित्त मंत्री जानती हैं। वित्त मंत्री को बजट के मुताबिक राजस्व संग्रह बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि वे भारत की वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकें। भारत के हाथ अभी खर्च करने के लिए तंग है। राजस्व पक्ष में संग्रह को बेहतर बनाने के लिए जगह है।

बता दें बजट से पहले आई आर्थिक समीक्षा- 2020 में वित्तवर्ष 2021 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6-6.5% विकास का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस साल राजस्व में कमी के चलते सरकार को वित्तीय घाटे के मोर्चे पर कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। सरकार का मानना है कि फूड सब्सिडी में कटौती से घाटे को कम किया जा सकता है।