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भारत को Chabahar Railway Project से अलग करने वाली खबर का ईरान ने किया खंडन, बताई बड़ी साजिश

Highlights ईरान-चीन (Iran-China) के बीच होने जा रही 400 अरब डॉलर की डील के बाद ये कहा जा रहा था कि भारत को इस परियोजना से अलग किया गया। ईरान ( Iran) के ट्रांसपोर्ट और रेलवे विभाग के डिप्टी मिनिस्टर सईद रसौली ने खबरों को पूरी तरह से गलत बताया है।

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India and Iran

पीएम मोदी के साथ ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी।

तेहरान। चाबहार रेल परियोजना ( Chabahar Railway Project) से भारत को बाहर कर देने वाली खबर का ईरान ने खंडन किया है। ईरान की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि भारत चाबहार जहेदान रेल प्रोजेक्ट का हिस्सा है। गौरतलब है कि ईरान-चीन (Iran-China) के बीच होने जा रही 400 अरब डॉलर की डील को लेकर ये कहा जा रहा था कि भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर कर दिया गया है। ईरान ने इन खबरों को गुमराह करने वाला बताया है। इसे अफवाह करार दिया।

ईरान खबरों को साजिश बताया

ईरान ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि भारत को चाबहार रेलवे प्रॉजेक्ट से बाहर कर दिया गया है। ईरान के ट्रांसपोर्ट और रेलवे विभाग के डिप्टी मिनिस्टर सईद रसौली ने इन खबरों को पूरी तरह से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि इन रिपोर्ट के पीछे कोई साजिश है। यह रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है।

2022 तक किया जाना है पूरा

बीते हफ्ते ईरान के ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास मंत्री मोहम्‍मद इस्‍लामी ने 628 किमी लंबे रेलवे ट्रैक को बनाने का उद्घाटन किया था। इस रेलवे लाइन को अफगानिस्‍तान के जरांज सीमा तक बढ़ाया जाना है। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा होना है। ईरान ने यह कहते हुए भारत को इस डील से बाहर कर दिया है। भारत इसके लिए राशि नहीं दे रहा है।

2016 में किया गया था समझौता

वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ था। इस परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था। परियोजना को लेकर इरकान के इंज‍िन‍ियर ईरान गए भी थे लेकिन अमरीकी प्रतिबंधों के कारण भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं कर सका। अमरीका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे दी है। लेकिन अब उपकरणों के सप्‍लायर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए काम में दिक्कत आई।

रान और चीन में बड़ा समझौता

दूसरी ओर ईरान और चीन के बीच जल्‍द एक बड़ा समझौता हो सकता है। इसके तहत चीन ईरान से बेहद सस्‍ती दर पर तेल खरीदेगा। वहीं इसके बदले में बीजिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है। यही नहीं ड्रैगन ईरान को कई घातक और आधुनिक हथियार भी देने में मदद करेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है।