विमान से उतरने के बाद कुश्नर ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमने अभी-अभी वाकई ऐतिहासिक उड़ान पूरी की है। आशा करते हैं कि यह भविष्य में आने वाली तमाम उड़ानों में से एक हो।” उन्होंने इस अवसर के लिए दोनों देशों के नेतृत्व का आभार व्यक्त किया है। सऊदी अरब ने भी सीधी उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग को मंजूरी दे दी है।
गौरतलब है कि इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 13 अगस्त को ऐलान किया था कि वे अमरीका की मध्यस्थता से हुए समझौते के अनुसार कूटनीतिक संबंधों को स्थापित करने की कोशिश करेंगे। इस समझौते में इजराइल को पश्चिम तट के कुछ हिस्सों को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने की योजना पर रोक लगानी है। यूएई तीसरा अरब देश है, जिसने यहूदी देश के साथ सीधे कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किए हैं। इजराइल को दो पड़ोसी देश जॉर्डन और मिस्र भी मान्यता देते रहे हैं।
इस कदम को बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इजराइल की अरब देशों में स्वीकारता काफी कम है। ऐसे में इजरायली विमान का सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र से गुजरना बड़ा संदेश देता है। यह तय करता है कि इजराइल के धीरे-धीरे इस क्षेत्र रिश्ते बेहतर होते जा रहे हैं।
इजराइल के बेन गुरियन हवाईअड्डे से उड़ान भरने के बाद विमान तीन घंटे 20 मिनट की यात्रा कर अबु धाबी पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह पूछने पर कि क्या अमरीका यूएई को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचेगा, कुश्नर का कहना है कि पीएम नेतान्याहू और राष्ट्रपति ट्रंप कभी ना कभी इस बारे में चर्चा जरूर करेंगे।