
चीन सीमा विवाद को बढ़ावा दे रहा।
एम्स्टर्डम। पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी में बीते दिनों चीन के साथ झड़प में 20 भारतीय जवानों शहीद हो गए। इससे दोनों के देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर खास असर पड़ा है। एक यूरोपीय थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है।
यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार 15 जून को एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के पास गलवान घाटी में हुई घटना चीन की पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामकता को दिखाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को चीन ने भारतीय जवानों पर हमला कर यह जानबूझकर और सोची-समझी साजिश के तहत किया था। ऐसा करके चीन ने दोनों देशों के बीच हुए दशकों पहले समझौते का उल्लंघन किया है।
चीन का हमला सबसे बड़ा बदलाव
1975 के बाद से यह पहली बार है कि भारतीय—चीन सीमा पर गहरा तनाव छाया हुआ है। इसने गंभीर चुनौती पैदा कर दी है। चीन की ऐसी आक्रामकता भविष्य में दोनों देशों के बीच संबंधों को और नुकसान पहुंचाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार चीन की ओर से गलवान में भारतीय सैनिकों पर हमला बड़ा बदलाव सामने लेकर आएगा। इससे तनाव अधिक बढ़ेगा।
हमले से साबित हुई चीन का रवैया
यूरोपीय थिंक टैंक के अनुसार चीन की ओर से भारतीय सैनिकों पर किया गया हमला उसके जिद्दी रवैये को दर्शाता है। दक्षिण चीन सागर से लेकर ताइवान और हांगकांग तक में चीन अपने इसी रवैये के बलबूते आशांति फैला रहा है। चीन अपने पांव पसारने की कोशिश में लगा हुआ है। दक्षिण चीन सागर में मलेशिया और वियतनाम के जहाजों को रोककर, हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाकर और दो बार संवेदनशील वियतनाम की खाड़ी में एयरक्राफ्ट करियर के जरिए चीन अपने इरादे को साफ कर चुका है।
चीन का दावा झूठा
दूसरी ओर भारत के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि चीन के 'वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संबंध में किए जा रहे दावे गलत हैं। मंत्रालय का कहना है कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी चीन में है, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान का ये दावा पूरी तरह से गलत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत का ईमानदारी से पालन करेगा।
Updated on:
21 Jun 2020 10:02 am
Published on:
21 Jun 2020 10:01 am
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