
लेबनान में नई सरकार की तैयारी में जुटा फ्रांस।
पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) के कार्यालय ने बुधवार को कहा कि फ्रांस को इस बात का "पछतावा" है कि अभी तक यहां पर नई सरकार का गठन नहीं हो सका है। बीते माह बेरुत बंदरगाह पर एक भयानक विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हुए यहां पर सामूहिक इस्तीफे हुए। जिसके बाद से लेबनान में अब तक एक नई सरकार का गठन नहीं हो सका है।
गौरतलब है कि बेरूत बंदरगाह पर बीते माह हुए धमाके में कम से कम 100 लोगों की मौत और हजारों लोग घायल हुए। यह धमाका लेबनान सरकार की लापरवाही के कारण हुआ। बताया गया कि बंदरगाह पर यह विस्फोटक बीते कई सालों से एक गोदाम में रखा था। इसमें आग लगने के बाद जोरदार धमाका हुआ, जिसके कारण आसपास के करीब 10 किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही देखने को मिली।
दरअसल फ्रांस ने सितंबर मध्य तक यहां पर नई सरकार के गठन की तारीख तय की थी। इस पर फ्रांस सरकार का कहना है कि अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। राजनीति दलों के के बीच आम सहमति बनाई जा रही है।
फ्रांस की ओर जर्मनी में लेबनान के राजदूत रह चुके मुस्तफा अदीब (Mustapha Adib) को देश का नया प्रधानमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। फ्रांस के प्रशासन की ओर से आए बयान से ये पता चलता है कि वह चाहता है कि यहां के प्रमुख अधिकारी सरकार गठन में मदद करें।
लेबनान ने खुद पैदा की है यह समस्या
लेबनान धार्मिक संप्रदाय, कमजोर सरकार और मजबूत पड़ोसी की वजह से संघर्ष का शिकार हो रहा है। इसके कारण लोगों को राजनीतिक जड़ता और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। लेबनान हमेशा से ईरान और सऊदी अरब के बीच एक वर्चस्व की लड़ाई का हिस्सा बनता रहा है। यहां वर्तामान में जो समस्या है वह स्वयं लेबनान द्वारा उत्पन्न की गई है। इसका कारण है दशकों से भ्रष्ट और लालची राजनीतिक वर्ग का सामने आना। इसकी चोट अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में देखी गई है।
एक आम सहमति बनाने की कोशिश
फ्रांस के राष्ट्रपति ने दो बार बेरुत का दौरा किया है, क्योंकि आपदा में सुधार के लिए काम करने वाली सरकार के लिए एक आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है, चेतावनी दी है कि अगर कोई प्रगति नहीं हुई है, तो वह दानदाताओं से वसूली फंड को रोक देगा। मैक्रों के कार्यालय ने कहा, "हम लेबनान के राजनीतिक नेताओं के साथ स्थिति का बारीकी से पालन करने और इस मामले में हमारे आग्रह को नवीनीकृत करने के लिए प्रयास जारी हैं।"
मंत्रालयों के नियंत्रण को बदलने की मांग
अदीब मंत्रियों को नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं ताकि वे एक फ्रांसीसी रोड मैप पर काम शुरू कर सकें। सूत्रों के अनुसार उन्होंने मंत्रालयों के नियंत्रण को बदलने की मांग की है, जिनमें से कई वर्षों से एक ही गुट के पास हैं। प्रमुख शिया मुस्लिम और ईसाई खिलाड़ियों ने शिकायत की है कि सुन्नी मुस्लिम आदिब उनसे सलाह नहीं ले रहे हैं।
Updated on:
18 Sept 2020 03:20 pm
Published on:
18 Sept 2020 10:21 am
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