गौरतलब है कि बीते माह पश्चिम अफ्रीकी देश माली में विद्रोही सैनिकों ने तख्तापलट करके देश के राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंधक बना लिया था। इसके बाद राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता ने अपने पद से हटने का ऐलान कर दिया। इसके बाद विद्रोही सैनिकों ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार बंदूक के दम पर हिरासत में लिए जाने के बाद माली के राष्ट्रपति ने इस्तीफा देकर संसद को भंग करने की घोषणा की थी। इससे पहले देश में 2012 में तख्तापलट हुआ था। सेना यहां पर अपना शासन कायम करने में लगी हुई है। पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता से बातचीत के बाद तय हुआ है कि 18 माह तक देश में सैन्य शासन लगाया जाए। इस विपक्ष जमकर विरोध कर रहा है।
प्रवक्ता मौसा कैमारा के अनुसार चुनाव कराए जाने तक राष्ट्रपति एक नागरिक या सैनिक हो सकता है। अंतरिम राष्ट्रपति का चयन सैन्य सरकार द्वारा चुने गए निर्वाचकों द्वारा किया जाएगा। इससे पहले मसौदे में कहा गया था कि संक्रमण दो साल तक चलेगा और अंतरिम राष्ट्रपति सीधे सैन्य शासकों द्वारा चुने जाएंगे।
क्यों हुआ तख्तापलट मई से ही राष्ट्रपति को जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। उस समय देश की सर्वोच्च अदालत ने विवादित संसदीय चुनावों के नतीजों बदल दिया था। इससे पहले 2012 में भी देश की सेना ने तख्तापलट कर दिया था। अमरीका के साथ ही रूस, फ्रांस समेत कई देश माली के हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है।