
Many Country Relied on Chinese Vaccines, Now They're Battling Covid Outbreaks
नई दिल्ली। कोरोना संकट से निपटने के लिए तेजी के साथ दुनियाभर में टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन कई देशों में ऐसे सैंकड़ों मामले सामने आए हैं, जहां पर वैक्सीन लगाने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ चीन द्वारा विकसत कोविड वैक्सीन सिनोफार्म को लेकर कई देशों में विरोध भी देखने को मिला है।
दरअसल, दुनिया के कई देशों ने चीनी वैक्सीन सिनोफार्म पर भरोसा जताया और अपने देश में इसका टीका लगाए जाने को लेकर आपातकालीन मंजूरी भी दी। लेकिन अब इन देशों में टीका लगाए जाने के बाद भी कोरोना के मामलों में भारी उछाल देखा जा रहा है।
मंगोलिया में सिनोफार्म वैक्सीन को मंजूरी दी गई और टीकाकरण अभियान चलाया गया। इसके बाद मंगोलिया ने प्रतिबंधों में ढील दी। लेकिन रविवार को देश में कोरोना संक्रमण के 2,400 नए मामले दर्ज किए गए, जो एक महीने पहले चार गुना था।
मंगोलिया ने अपने नागरिकों से "कोविड मुक्त गर्मी" का वादा किया। तो वहीं, बहरीन ने अपने नागरिकों से कहा कि "सामान्य जीवन में वापसी" होगी। इसके अलावा एक छोटे से द्वीप राष्ट्र सेशेल्स का उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था को उछाल देना था।
इन तीनों देशों ने चीनी-निर्मित टीकों में विश्वास रखा, जो उन्हें ऐसे समय में महत्वाकांक्षी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति देगा जब दुनिया का अधिकांश हिस्सा बिना टीकाकरण के आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब इन तीनों देशों में कोरोना वायरस के मामले घटने के बजाए संक्रमण के मामले में भारी उछाल देखी जा रही है।
चीनी वैक्सीन संक्रमण को रोकने में प्रभावी नहीं
पिछले साल चीन ने अपने वैक्सीन कूटनीति अभियान के तहत दुनिया के कई देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई और ये दावा किया कि उनकी वैक्सीन COVID-19 के गंभीर मामलों को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी है। हालांकि,तब य संशय बना हुआ था कि यह और बाकी अन्य टीके कोरोना को फैलने से रोकने में कितना सफल होंगे।
अब, कई देशों के उदाहरणों से पता चलता है कि चीनी टीके वायरस के प्रसार को रोकने में बहुत प्रभावी नहीं हैं, विशेष रूप से नए कोरोना के नए वैरिएंट। डेटा ट्रैकिंग प्रोजेक्ट, अवर वर्ल्ड इन डेटा के अनुसार, सेशेल्स, चिली, बहरीन और मंगोलिया में 50 फीसदी से 68 फीसदी आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, अमरीका से काभी आगे निकल गए हैं।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के आंकड़ों के अनुसार, हाल ही में पिछले सप्ताह की तरह सबसे खराब COVID प्रकोप वाले शीर्ष 10 देशों में ये सभी टॉप चार में शामिल हैं। इन चारों देशों में अधिकतर लोगों को दो चीनी वैक्सीन निर्माताओं सिनोफार्म और सिनोवैक बायोटेक द्वारा विकसित टीके लगाए गए हैं।
इसके अलावा इंडोनेशिया में, जहां एक नया वैरिएंट फैल रहा है, इंडोनेशियाई मेडिकल एसोसिएशन की जोखिम शमन टीम के अनुसार, सिनोवैक के साथ पूरी तरह से टीका लगाए जाने के बावजूद हाल ही में 350 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्य देखभाल कर्मी COVID-19 से संक्रमित हुए। एसोसिएशन ने कहा कि पूरे देश में फरवरी से 7 जून के बीच 61 डॉक्टरों की मौत हो गई। उनमें से दस ने चीन में बनी वैक्सीन ली थी।
मालूम हो कि अमरीका में करीब 45 फीसदी आबादी को पूरी तरह से वैक्सीन लगाई जा चुकी है। अधिकतर लोगों को फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न द्वारा बनाई गई वैक्सीन की खुराक दी गई है। इसके बाद अब छह महीने में नए मामलों में 94 फीसदी की गिरावट आई है।
इसके अलावा इज़राइल में फाइजर की टीका लगाया जा रहा है, जहां पर सेशेल्स के बाद दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा टीकाकरण दर है। इज़राइल में नए दैनिक पुष्टि किए गए COVID-19 मामलों की संख्या अब लगभग 4.95 प्रति मिलियन है। सेशेल्स जो कि ज्यादातर सिनोफार्म पर निर्भर था, यह संख्या प्रति मिलियन 716 मामलों से अधिक है। मालूम हो कि 90 से अधिक देशों में चीनी टीके लगाए गए जा रहे हैं।
चीन का आरोपों से इनकार
चीनी वैक्सीन के बेअसर होने के दावों पर चीन ने प्रतिक्रिया दी है। एक बयान में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने हाल के प्रकोपों और इसके टीकों के बीच कोई संबंध नहीं देखा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुछ देशों में टीकाकरण की दर भविष्य के प्रकोपों को रोकने के लिए पर्याप्त स्तर तक नहीं पहुंच पाई थी, और उन देशों को नियंत्रण बनाए रखने की आवश्यकता थी।
मंत्रालय ने कहा, "प्रासंगिक रिपोर्ट और आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि चीन निर्मित टीकों का उपयोग करने वाले कई देशों ने व्यक्त किया है कि वे सुरक्षित और विश्वसनीय हैं और वैक्सीन ने महामारी की रोकथाम के प्रयासों में अच्छी भूमिका निभाई है।" चीन ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उसके टीके कोरोना को संचरण को रोकने के बजाय गंभीर बीमारी को टारगेट करते हैं।
कोई भी टीका पूरी तरह से संचरण को रोकता नहीं है और टीकाकरण के बाद भी लोग बीमार पड़ सकते हैं, लेकिन चीनी शॉट्स की अपेक्षाकृत कम प्रभावकारिता दर को हाल के प्रकोपों के संभावित कारण के रूप में पहचाना गया है। मामलों में स्पाइक के बावजूद, सेशेल्स और मंगोलिया दोनों देशों के अधिकारियों ने सिनोफार्म का बचाव करते हुए कहा कि यह बीमारी के गंभीर मामलों को रोकने में प्रभावी है।
फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न की प्रभावकारिता दर 90% से अधिक
मालूम हो कि अभी तक दुनियाभर में जितने भी वैक्सीन उपलब्ध हो पाए हैं उनमें से फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न की प्रभावकारिता दर सबसे अधिक 90% से ज्यादा है। एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन सहित कई अन्य टीकों की प्रभावकारिता दर लगभग 70% है। बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के साथ विकसित सिनोफार्म वैक्सीन की प्रभावकारिता दर 78.1% है, वहीं सिनोवैक वैक्सीन की प्रभावकारिता दर 51% है।
चीनी कंपनियों ने यह दिखाने के लिए बहुत अधिक क्लिनिकल ट्रायल डेटा जारी नहीं किया है कि उनके टीके संचरण को रोकने में कैसे काम करते हैं। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ता शाओ यिमिंग ने सोमवार को कहा कि चीन को अपनी आबादी के 80% से 85% को पूरी तरह से टीकाकरण करने की आवश्यकता है, ताकि 70% के पिछले आधिकारिक अनुमान को संशोधित किया जा सके।
Updated on:
23 Jun 2021 05:20 pm
Published on:
23 Jun 2021 05:15 pm
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