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पीरियड हुआ था इसलिए घर में नहीं छाउपडी में गंवानी पड़ी जान

नेपाल की एक महिला को छाउपडी की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।  

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छाउपडी प्रथा की वजह से एक महिला की जान चली गई। रिपोर्ट के मुताबिक अछाम जिले के तुरमाखाद ग्रामीण नगरपालिका-तीन में गौरी बयाक (बुधा) की महिला छाउपडी में मृत पाई गई। उनके मरने की खबर पड़ोसियों ने दी। नेपाल पुलिस के मुताबिक मृतक महिला के मौत की असली वजह का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद चलेगा। आसपास के लोगों का कहना है कि हचूंकि महिला को माहवारी हुआ था इसलिए उसे इस ठंड में भी घर के अंदर रहने की इजाजत नहीं थी। इस ठिठुरती ठंड में उसने खुद को गर्म रखने के लिए झोपड़ी के अंदर ही अलाव जलाया था। अलाव के धुएं की वजह से उसका दम नींद में ही घुट गया और उसकी मौत हो गई।

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नेपाल में आज भी कई समुदाय पीरियड को अपवित्र मानते हैं। इस दौरान एक महिला को घर में रहने की इजाजत नहीं है। उसे घर के पास बनी एक झोपड़ी में रहना पड़ता है। कुछ जगहों पर महिलाओं को घर में रहने की तो इजाजत मिलती है लेकिन उन्हें घर के दूसरे लोग खासकर मर्दों से दूर रहता पड़ता है। उन्हें किचन में जाने की इजाजत नहीं होती। इस दौरान वो खेत में उगने वाले फसल और पालतू पशुओं को भी छू नहीं सकती। । उन्हें पूरी तरह से समाज से अलग रहना पड़ता हहालांकि छाउपडी को अब नेपाल में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। फिर भी कुछ लोग इस प्रथा का पालन को अंधविश्वास की वजह से कर रहे हैं।
पिछले साल 21 साल की एक महिला और 15 साल की एक किशोरी की मौत इसी वजह से हुई थी।२०१७ में नेपाल सरकार ने छाउपडी को अपराध करार दिया था। आज इसके दोषियों को तीन महीने जेल की सजा या 3,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान इस देश के कानून में है।