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Tanzania का खदानकर्मी रातोंरात करोड़पति बना, दुर्लभ पत्थरों की खोज की

Highlights इस खोज के लिए उन्हें 34 लाख डॉलर यानी तकरीबन 25 करोड़ रुपये की रकम मिली है। लाइजर ने बीते सप्ताह 9.2 किलो और 5.8 किलो वजन के दो कीमती पत्थरों को निकाला है।

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Tanzania miner

तंजानियां का खदानकर्मी सैनीनियु लाइजर।

डोडोमा। तंजानियां का एक छोटा खदानकर्मी रातोंरात करोड़पति बना गया। उसने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खोज की है। सैनीनियु लाइजर नाम के इस शख्स को दो बड़े तंजानाइट पत्थर मिले हैं। इनका कुल वजन 15 किलों बताया गया है। यह सबसे दुर्लभ पत्थरों में से एक है। इस खोज से उन्हें 34 लाख डॉलर यानी तकरीबन 25 करोड़ रुपये की रकम मिली है। यहां के खनन मंत्रालय से मोटी रकम पाकर वे रातोंरात करोड़पति बन गए हैं।

आभूषणों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक मशहूर रत्न

यह पत्थर केवल उत्तरी तंजानिया में ही पाया जाता है। ये आभूषणों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक मशहूर रत्न है। इसका इस्तेमाल अंगूठियों, ब्रेसलेट्स और नेकलेस में होता है। इसका इस्तेमाल अन्य तरह के आभूषण को बनाने में भी होता है। यह धरती पर मिलने वाले दुर्लभ रत्नों में से एक है।

इसकी कीमत दुर्लभता के साथ तय होती है

इसकी कीमत दुर्लभता के साथ तय होती है। इसका रंग जितना स्पष्ट होगा, उतनी इसकी कीमत तय होती है। लाइजर ने बीते सप्ताह 9.2 किलो और 5.8 किलो वजन के इन कीमती पत्थरों को धरती से निकाला है।

बड़े स्तर पर जश्न मनाएंगे

इसके पहले खनन करके निकाला गया सबसे बड़ा तंज़ानाइट पत्थर 3.3 किलो का था। लाइजर की इस बेशकीमती खोज के लिए राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली ने फोन पर उन्हें बधाई दी। राष्ट्रपति के अनुसार छोटे खननकर्ताओं का यही फायदा है और इससे पता चलता है कि तंजानिया अमीर है। 52 साल के लाइजर की चार पत्नियां हैं। लाइजर का कहना है कि वह इस उपलब्धि को लेकर बड़े स्तर पर जश्न मनाएंगे।

एक स्कूल बनाना चाहते हैं

लाइजर के अनुसार उनकी मन्यारा के सिमांजिरो जिले में पैसा निवेश करने की योजना है। वे एक शॉपिंग मॉल और एक स्कूल बनाना चाहते हैं। यह स्कूल अपने घर के पास बनाना चाहते हैं। इससे तमाम गरीब लोगों को फायदा हो सकेगा।

लाइजर एक छोटे खननकर्ता हैं, जिन्होंने सरकार से लाइसेंस हासिल किए हैं। मगर यहां पर बड़ी कंपनियों की माइंस के अवैध खनन जारी है। 2017 में राष्ट्रपति मैगुफुली ने मन्यारा में मेरेलानी माइनिंग साइट को सुरक्षित रखने के लिए 24 किलोमीटर का एक घेरा बनाया था। इसके लिए सेना भी दीवार बनाने के काम शामिल थी।