बदलाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की अमरीका की नासा (NASA) , यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईसा (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी जैक्सा (JAXA) ने पहली बार एक साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण में आए बदलाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। एजेंसियों ने ये रिपोर्ट उपग्रहों के डेटा के आधार पर हवा, पानी की गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन,आर्थिक गतिविधि और कृषि में परिवर्तन पर बनाई है।
टास्कफोर्स का गठन
नासा के अनुसार, एजेंसियों ने अप्रैल में इसके लिए एक टास्कफोर्स (Taskforce) का गठन किया। इस दौरान पृथ्वी के बदलते पैटर्न को जांचने की कोशिश की। प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि लॉकडाउन ने वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड संचय को धीमा कर दिया है। नई दिल्ली और मुंबई में कहानी कुछ हद एक सी है। कार्बन डाइऑक्साइड संवर्द्धन फरवरी के माह में छोटे स्तर पर रहा। इस प्रक्रिया में नासा ने हर साल होने वाले काबर्न डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन का डेटा तैयार किया है। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।
कार्बन उत्सर्जन को ट्रैक किया नासा की ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी-2 उपग्रह और जापान की ग्रीनहाउस गैसों का अवलोकन करने वाले सेनेटरी गोसैट ने मुंबई, बीजिंग, टोक्यो और न्यूयॉर्क में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में परिवर्तन को ट्रैक किया। परिणाम छोटे, लगभग 0.5 भागों प्रति मिलियन, या प्रत्येक क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड में 0.125 प्रतिशत की कटौती दिखाई दी है।
वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार टास्कफोर्स ने नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2) के स्तर में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी जो तीन महीने के लॉकडाउन के दौरान कम यातायात और औद्योगिक गतिविधि के कारण देखी जा रही है। उपग्रह डेटा 25 मार्च से 20 अप्रैल के बीच दिल्ली और मुंबई में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में 40-50 प्रतिशत की कमी दिखाता है। हालांकि, यह स्तर पूरे भारत में नहीं देखा गया। टास्कफोर्स ने कहा कि नई दिल्ली और मुंबई जैसे चुनिंदा शहरों में लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण कम दिखा।
बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिला नासा में यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) के साइंटिस्ट पवन गुप्ता के बताया कि किस तरह से भारत में प्रदूषण के कमी देखने को मिली है। उनके मुताबिक, लॉकडाउन के कारण वायुमंडल में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिला है। इससे पहले कभी उत्तर भारत के ऊपरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का इतना कम स्तर देखने को नहीं मिला। लॉकडाउन के बाद 27 मार्च से कुछ इलाकों में बारिश हुई। इससे हवा में मौजूद एयरोसॉल नीचे आ गए। यह लिक्विड और सॉलिड से बने ऐसे सूक्ष्म कण हैं, जिनके कारण फेफड़ों और हार्ट को नुकसान होता है। एयरोसॉल की वजह से ही विजिबिलिटी घटती है।