नासा के लूनर रिकॉनेनेस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के अज्ञात दक्षिण ध्रुव के पास विक्रम के प्रयास वाले लैंडिंग स्थान की कुछ तस्वीरे ली हैं। 17 सितंबर को उसने यह प्रयास करना शुरू किया था। दरअसल लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की संभावना की समय सीमा 21 सितंबर है क्योंकि उसके बाद चंद्रमा क्षेत्र में रात हो जाएगी।
CRO.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, LRO के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केलर ने एक बयान में कहा कि हमने कैमरे से छवियों को कैप्चर कर ली हैं। LROC टीम इन नई छवियों का विश्लेषण करेगी और पिछली छवियों की तुलना करके यह देखेगी कि लैंडर दिखाई दे रहा है या इसकी छाया की तस्वीर मिली है।
नासा छवियों का सत्यापन, विश्लेषण और समीक्षा करी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब यहां से ऑर्बिटर गुजरा,तो यह चंद्र के पास था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को उनके टचडाउन के दिन से केवल 14 दिनों के अंदर क्रियाशील होने की स्थिति में माना जा रहा है।
मिशन की शुरुआत में, इसरो ने कहा था कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस होगा जो 14 पृथ्वी दिनों के बराबर है,जबकि ऑर्बिटर का एक पृथ्वी वर्ष होगा।
चंद्रमा पर रातें बहुत ठंडी हो सकती हैं, खासकर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में जहां तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर सकता है। लैंडर के उपकरण इस तरह के तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं। इसके पार्टस इस दौरान काम नहीं करेंगे और स्थायी रूप से बेकार हो जाएंगे। रात होते चांद पर तापमान तेजी से बढ़ेगा।
इसलिए, यदि अगले 24 घंटे में कोई संपर्क स्थापित नहीं किया जाता है, तो इसरो को लैंडर के साथ संबंध स्थापित करने की उम्मीद छोड़नी पड़ सकती है। चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर ने सात सितंबर चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र की सतह पर लैंड करने की कोशिश की थी। मगर इस दौरान लैंडर ने अपने अंतिम समय ग्राउंड स्टेशनों के साथ संचार खो दिया। इसरो के अधिकारियों ने कहा कि चंद्रयान 2 की परिक्रमा स्वस्थ और सुरक्षित है।