नेपाली संसद ने विवादित नक्शे को दी मंजूरी, राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजने की तैयारी
Highlights
- नए नक्शे में नेपाल (Nepal) ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया है।
- भारत से बातचीत को बेताब नेपाल, भारत ने कहा नेपाल को उसकी संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए।

काठमांडू। नेपाल (Nepal) की निचली संसद की प्रतिनिधि सभा ने देश के नए और विवादित नक्शे पर पेश किए संशोधन विधेयक (Bill) को मंजूरी दे दी है। भारत के साथ इस नए नक्शे (New Map) में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र को दिखाया गया है। कानून,न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक को लेकर चर्चा के लिए पेश किया।
राष्ट्रपति के पास अनुमोदन
इस संविधान संशोधन विधेयक पर अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के बाद नया नक्शा कानून की शक्ल ले लेगा। नेपाली संसद में मंगलवार देर शाम तक नक्शे को लेकर चर्चा की गई। हालांकि नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत से दोबारा बातचीत का प्रस्ताव रखा है।
इसलिए पहले नहीं हुआ पारित
संविधान संशोधन प्रस्ताव को बीते महीने संसद में पेश होना था मगर पीएम केपी शर्मा ओली ने मामले पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे। विधेयक में नेपाल के राजनीतिक मैप में बदलाव का प्रस्ताव है। संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है।
क्या था विवाद?
गौरतलब है कि भारत के लिपुलेख में मानसरोवर लिंक बनाने को यह विवाद गहराया है। इस पर नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। नेपाल का कहना है कि लिपुलेख, कालापानी और लिपिंयाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं। इसके लिए नेपाल ने नया नक्शा जारी कर दिया। इसमें तीनों क्षेत्रों को उसकी सीमा में दिखाया गया है। इस नक्शे से संविधान में संशोधन की बात कही गई है। इस दौरान पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर सख्त रवैया अपनाए रखा।
रोड के जवाब में नया नक्शा
लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते का उद्घाटन बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था, इसके बाद से नेपाल ने इसका विरोध किया था। 18 मई को नेपाल ने नए नक्शा जारी कर दिया। इस हरकत पर भारत ने संदेश दिया कि नेपाल को उसकी संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। इसके साथ ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे बैठकर बात हो सके।
दोनों देशों के रिश्ते आई तल्खी
इस विवाद से भारत- नेपाल के रिश्तों पर गहरा असर पड़ रहा है। भारत का कहना है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि इस विवाद का हल बातचीत से निकालना जरूरी है। इसके बाद नेपाल ने पिथौरागढ़ से सटी सीमा पर पुराने एक रोड प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया है। यह रोड रणनीतिक रूप से अहम है।
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