
pew research
वाशिंगटन। अमरीका के थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ( Pew Research Center ) ने भारत में विभिन्न धर्मों को लेकर एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है। रिसर्च के अनुसार, भारत की आबादी विविधता के बाद भी धर्म में खासी आस्था रखती है। यहां पर हिन्दू, जैन, सिख और मुस्लिम आबादी अपनी अलग-अलग राय रखती है।
प्यू रिसर्च टीम के अनुसार, उसने कोरोना संकट से पहले 2019-20 में 30 हजार भारतीयों पर सर्वे किया, जिसमें यहां राष्ट्रवाद,धार्मिक आस्था और सहिष्णुता को लेकर शोध किया गया।
भेदभाव का सामना करना पड़ा
सर्वे में सामने आया कि भारत के दूसरे सबसे बड़े धर्म, इस्लाम को मानने वाले 95 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें भारतीय होने पर बेहद गर्व महसूस होता है। वहीं 85 प्रतिशत इस बात को मानते हैं कि भारतीय संस्कृति सबसे बेहतर है। 24 प्रतिशत मुस्लिमों का कहना है कि उन्हें भारत में भेदभाव का सामना करना पड़ा है। वहीं 21 प्रतिशत हिंदू भी कहते है कि उन्हें भारत में धार्मिक भेदभाव झेलना पड़ा है।
गंगा के पानी की शुद्धता पर यकीन
इस सर्वे में पाया गया कि कुछ बातों पर हर धर्म के लोग एकमत हैं। जैसे कर्म के सिद्धांत पर 77% हिंदू विश्वास करते हैं तो इतने ही मुस्लिम भी। एक-तिहाई ईसाई (32%) भी 81 प्रतिशत हिंदुओं की तरह गंगा के पानी की शुद्धता पर यकीन रखते हैं। वहीं हर धर्म के लोगों ने कहा कि बड़ों का सम्मान करना जरूरी है।
इन सामानताओं के बावजूद लोग यह नहीं मानते कि दूसरे धर्म के लोग भी उनकी तरह हैं। अधिकतर हिंदू (66%) खुद को मुस्लिमों से अलग करके देखते हैं और मुसलमानों का भी यही रवैया है। हालांकि आधे से ज्यादा जैन और सिख यह मानते हैं कि उनमें और हिंदुओं में बहुत कुछ मिलता-जुलता है।
सर्वे में सामने आया कि भारत में अलग-अलग धर्मों के अंदर शादियां बेहद कम कम होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर भारतीयों का कहना था कि उनके धर्म के लोगों को दूसरे धर्म में शादी करने से रोकना बहुत अहम है। मुस्लिम महिलाओं को दूसरे धर्म में शादी करने से 80 प्रतिशत मुसलमान रोकना चाहते हैं, वहीं 67 प्रतिशत हिंदू नहीं चाहते कि महिलाएं मुस्लिमों से विवाह करें।
किसी धर्म का पड़ोसी होने में कोई दिक्कत नहीं
सर्वे में सामने आया कि भारतीय आमतौर पर अपने धर्म के लोगों को अपना दोस्त बनाते हैं। सिख और जैन धर्म के लोगों का भी कहना है कि उनके दोस्त धर्म के भीतर होने चाहिए। कुछ भारतीयों का कहना है कि उनके पड़ोस में केवल उनके धर्म के लोग ही रहने चाहिए। 45% हिंदुओं का कहना है कि उन्हें किसी धर्म का पड़ोसी होने में कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि 45 प्रतिशत हिंदुओं का मानना है कि वे दूसरे धर्म के पड़ोसियों को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
Published on:
01 Jul 2021 06:32 pm
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