समाधान होने में ज्यादा वक्त लग सकता है शोध में सामने आया है कि इससे मरीजों की समस्या का समाधान होने में ज्यादा वक्त लग सकता है। ये अध्ययन 120 देशों के पांच हजार सर्जन के नेटवर्क के जरिये किया गया। अध्ययन का नेतृत्व नौ देशों ब्रिटेन, बेनिन, घाना, भारत, इटली, मेक्सिको, नाइजीरिया, रवांडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और अमरीका के शोधकर्ताओं ने किया। अध्ययन में बताया गया है कि COVID-19 की वजह से हर हफ्ते अस्पतालों में किसी तरह की बाधा आने पर 24 लाख और सर्जरी रद्द होगी।
72.3 प्रतिशत सर्जरी को रद्द कर दिया गया ब्रिटेन (Britain) के बर्मिंघम विश्वविद्यालय सहित विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि महामारी के कारण कई जरूरी सर्जरी को रद्द करना पड़ा। दुनिया के 190 देशों का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि COVID-19 के चरम पर होने पर दुनियाभर में पूर्व निर्धारित करीब 72.3 प्रतिशत सर्जरी को रद्द कर दिया गया। इनमें अधिकतर गैर कैंसर सर्जरी होंगी।
63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली भारत में कोरोना वायरस की महामारी चरम पर पहुंच चुकी है। 12 हफ्ते की अवधि में 5,84,737 मरीजों की सर्जरी या तो रद्द कर दी गई या उनमें देरी हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार करीब 12 हफ्तों के अंदर 63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली दी गई है। अध्ययनकर्ताओं का आकलन है कि दुनियाभर में 23 लाख कैंसर से जुड़ी सर्जरी को रद्द किया गया या उनकी तारीख आगे बढ़ा दी जाएगी।
हालत पर गहरा असर शोध में सामने आया है कि अवश्यक सर्जरी को टालने से मरीज और समाज पर भारी बोझ पड़ेगा। सर्जरी की तारीख को बदलने से मरीजों की हालत पर गहरा असर पड़ सकता है। उनकी सेहत में गिरावट आ सकती है। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा होगा। शोध में कहना है कि यह अस्पतालों के लिए आवश्यक है कि वे नियमति रूप से स्थिति का आकलन करें। इसके साथ चुनिंदा सर्जरी की प्रक्रिया को तेजी से अपनाएं।