
ट्यूनीशिया: 93 वर्षीय राष्ट्रपति बेजी काइद एस्सेबसी का एलान, दूसरे कार्यकाल के लिए नहीं लड़ेंगे चुनाव
ट्यूनिस। उत्तर अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति बेजी काइद एस्सेबसी ने शनिवार को यह एलान किया कि वे आगामी राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरे कार्यकाल के लिए वे राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे क्योंकि उनकी पार्टी ये चाहती है और वे 93 वर्ष के हो चुके हैं। उनकी पार्टी का मानना है कि अब देश के युवाओं को मौका मिलना चाहिए। बता दें कि इसी वर्ष नवंबर के आस-पास ट्यूनीशिया में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अल्जीरिया में राष्ट्रपित अब्देलअजीज बुटफ्लिका के खिलाफ पूरे देश में भारी विरोध-प्रदर्शन का असर ट्यूनीशिया में भी पड़ा है और लोगों को विरोध के लिए भड़का दिया है। इसी के कारण सोशल मीडिया पर लोगों ने दूसरे कार्यकाल के लिए एस्सबेसी को नकार दिया। लिहाजा एस्सेबेसी ने खुद ही शनिवार को यह एलान कर दिया कि वे आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे।
दो बार चुनाव लड़ने का अधिकार
राष्ट्रपति बेजी काइद एस्सेबसी ने अपने बयान में कहा कि 2014 में संसद द्वारा अपनाए गए ट्यूनीशिया का संविधान मुझे यह अधिकार देता है कि मैं दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लडूं। लेकिन मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं 'मैं अपने दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ूंगा क्योंकि ट्यूनीशिया के पास काफी प्रतिभा है’। एस्सेबसी ने मोनास्टिर में अपनी पार्टी निदा ट्यून्स की बैठक में आगे कहा कि 6 अक्टूबर को संसदीय चुनाव और 17 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि यह ऐसा तीसरी बार होगा जब ट्यूनीशिया के लोग 2011 की क्रांति के बाद से स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकेंगे। इससे पहले 23 वर्षों तक ऑटोक्रेट ज़ीन एल एबिडीन बेन अली ने शासन किया था।
2014 में एस्सेबसी ट्यूनीशिया के पहले राष्ट्रपति बने
बता दें कि 2014 में ट्यूनीशिया में स्वतंत्र रूप से चुनाव हुए और एस्सेबसी सीधे तौर पर राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। उस दौरान किसी ने भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की थी। 2014 के चुनाव तक एस्सेबसी पूर्व संसदीय स्पीकर बेन अली के साथ देश के बड़े कद्दावर नेता के तौर देखे जाने लगे। हालांकि इसके बाद 2016 में जब प्रधानमंत्री के चुनाव हुए और यूसेद चादेद (Youssed Chaded) प्रधानमंत्री बने, उसके बाद से एस्सेबसी का प्रभाव कम होने लगा। उतर अफ्रीकी देश को अरब स्प्रिंग में एकमात्र लोकतांत्रिक सफलता के रूप में सम्मानित किया गया, क्योंकि जिस तरह से सीरिया और लीबिया में हिंसक प्रदर्शन देखे गए थे, उसके बिना ही बेन अली के खिलाफ विरोध किया गया था। लेकिन 2011 में ट्यूनीशिया के आर्थिक समस्याओं को सुधारने में नौवां कैबिनेट भी फैल गया, जिसमें उच्च मुद्रा स्फिति औऱ बेरोजगारी के मुद्दे शामिल थे।
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Updated on:
07 Apr 2019 12:01 pm
Published on:
07 Apr 2019 05:15 am
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