मानवाधिकार संगठन ने जताई नाराजगी रॉयटर्स के एडिटर-इन-चीफ स्टीफन एडलर के मुताबिक उनके रिपोर्टर्स को दोषी ठहराया जाना संगठन, उन दोनों लोगों और दुनिया की हर प्रेस के लिए दुखद है। इस मामले को लेकर मानवाधिकार संगठन ने भी नाराजगी जताई है। ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया डायरेक्टर फिल रॉबर्टसन ने ट्वीट कर बताया कि रॉयटर्स के दो रिपोर्टर्स को दोषी करार दिया जाना म्यांमार में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। ये दिखाता है कि खोजी पत्रकारिता से म्यांमार सरकार किस तरह डरती है। लोन और ऊ को जुलाई में गोपनीयता कानून तोड़ने का दोषी पाया गया था। इसके तहत अधिकतम 14 साल की सजा हो सकती थी।
देश छोड़ने पर मजूबर हुए रोहिंग्या दोनों पत्रकारों की रिपोर्ट में रोहिंग्या पर हुए अत्याचार की व्याख्या की गई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह यहां की सेना ने रोहिंग्या को निकालने के लिए दमन की नीति अपनाई। उन्होंने रोहिंग्या का कत्लेआम करना शुरू कर दिया। पूरी की पूरी बस्ती उजाड़ डाली गई। रोहिंग्या मुस्लमानों को मजबूर होकर देश छोड़कर भागना पड़ा। वे शरणार्थियों की तरह अब भी कैंपों में रहने को मजबूर हैं।