ऐम्स्टर्डैम की शोधकर्ता योआना बाराकोवा ने उठाया सवाल
बता दें कि जम्मू-कश्मीर ( jammu kashmir issue ) के हालत पर छपी गई सबसे पहली रिपोर्ट में मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय से कहा गया कि, ‘अभिव्यक्ति की आजादी और विचारों पर प्रतिबंध, एसेंबली में सन्नाटा और PoK के संगठनों से संबंध होने के कारण कश्मीर के हालत पर सटीक आकलन नहीं किया जा सका।’ इस पर ऐम्स्टर्डैम की शोधकर्ता योआना बाराकोवा ने कहा कि UNHRC का यह दावा अगस्त में कई मानवाधिकार समूहों की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट से बिल्कुल उलट है। योआना ने PoK समेत दुनियाभर के कई शोधकर्ताओं की रिपोर्ट का हवाला दिया।
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सोमवार को UNHRC के 41वें सेशन में उठे सवाल
योआना ने आगे कहा कि उच्चायुक्त द्वारा PoK की समस्याओं को रिपोर्ट में शामिल न करना, न सिर्फ सुधार की मांग करता है, बल्कि इसपर कई उठ रहे गंभीर सवाल इसके ‘संदिग्ध’ होने की पुष्टि करता है। आपको बता दें कि UNHRC में 41वां सेशन जारी था। सोमवार को इसी दौरान योआना ने रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए।
PoK का पाक के खिलाफ संघर्ष
आपको बता दें कि लंबे समय से PoK के लोग पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना से संघर्ष कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उनके मौलिक अधिकारों और सुविधाओं का पाकिस्तान द्वारा दमन किया जाता रहा है। यह नहीं, उनकी ओर से उठाई जा रही आवाजों को भी दबाने के लिए पाकिस्तान लगातार PoK के कार्यकर्ताओं को अगवा करता रहा है। इसके अलावा नीलम-झेलम नदियों पर बन रहे हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजना के कारण भी लोगों का पाक प्रशासन के लिए खासा गुस्सा है।
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