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ब्रिटिश जज ने कहा – भारतीय बैंकों ने नियमों की उड़ाई धज्जियाँ

बैंकों से धोखधड़ी मामले में आरोपी भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या शुक्रवार को ब्रिटेन की एक अदालत में पेश हुए ।

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Navyavesh Navrahi

Mar 17, 2018

vijay malya

बैंकों से धोखाधड़ी के बाद भारत से फरार होकर ब्रिटेन में रह रहे किंगफ़िशर के मालिक विजय माल्या प्रत्यर्पण के मामले में लंदन के वेस्ट मिन्स्टर कोर्ट में पेश हुए।

मामले की सुनवाई कर रही लन्दन की वेस्टमिन्स्टर अदालत की जज एम्मा आर्बथनॉट ने शुक्रवार (16 मार्च) को कहा कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने में कुछ भारतीय बैंकों ने नियमों की जम कर अनदेखी की है जिसे 'बंद आँखों से' भी देखा जा सकता है। न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट ने पूरे मामले को 'जिग्सॉ पज़ल' ( खांचे जोड़ने वाली पहेली ) की तरह बताया जिसमें ‘भारी तादाद’ में सबूतों को आपस में जोड़कर एक साफ़ तस्वीर बनानी होगी। उन्होंने कहा कि अब वह मामले को कुछ महीने पहले की तुलना में ‘ज्यादा स्पष्ट’ तौर पर देख पा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘यह साफ है कि बैंकों ने (कर्ज मंजूर करने में) अपने ही दिशानिर्देशों की अवहेलना की।’

न्यायाधीश एम्मा ने भारतीय अधिकारियों को इस मामले में शामिल कुछ बैंक कर्मियों पर लगे आरोपों को समझाने के लिए ‘आमंत्रित’ किया और कहा कि यह बात माल्या के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ के आरोप को साबित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बता दें कि शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन की इस अदालत में सुनवाई चल रही है कि क्या उन्हें प्रत्यर्पित करके भारत भेजा जा सकता है ताकि उनके खिलाफ भारत में अदालत बैंकों के साथ की गई धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई की जा सके। विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के लगभग 9 हजार करोड़ रुपए के कर्ज की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है।

इस मामले में भारत सरकार की तरफ से स्थानीय अभियोजक क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अदालत में इस संबंध में जमा कराए गए साक्ष्यों की स्वीकार्यता पर अपनी दलीलें पेश कीं, क्योंकि माल्या का बचाव कर रही वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने पिछली सुनवाई पर इन सबूतों की ग्राह्यता पर प्रश्न खड़े किए थे। उम्मीद है कि एम्मा इन सबूतों की ग्राह्यता पर उल्लेखनीय फैसला कर सकती हैं। साथ ही ब्रिटिश न्यायाधीश अपने अंतिम फैसले के लिए समयसीमा भी तय कर सकती हैं। गौरतलब है की मामले में बचाव पक्ष द्वारा अधिक स्पष्टीकरण की मांग किए जाने से इसका फैसला आने में देरी हो सकती है। फिलहाल तो माल्या दो अप्रैल 2018 तक जमानत पर बाहर हैं। हालाँकि अदालत ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी हुई थी फिर भी शुक्रवार को वह अदालत में पेश हुए थे ।