
WHO के महानिदेशक टेड्रोस ए. गेब्रेयेसस।
वाशिंगटन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वैश्विक जनसंख्या का आकलन करने पर पाया गया है कि कोरोना वायरस (coronavirus) के शिकार लोगों में मात्र दो से तीन प्रतिशत के खून में एंटीबॉडी पाए गए हैं। ये इन्हें इम्यूनिटी प्रदान करते हैं। ऐसे में लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है इस महामारी से बचने के लिए। WHO के महानिदेशक टेड्रोस ए. गेब्रेयेसस ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि शरीर में इम्यूनिटी के कम होने की वजह से लॉकडाउन ज्यादा सफल है। हालांकि उन्होंने चेताया है कि कोरोना वायरस से जुड़ा संकट आगे और बुरा रूप ले सकता है। अब तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के करीब 25 लाख पॉजिटिव केस सामने आए हैं जिनमें से 1.66 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
डॉ मारिया वान केरखोव, एक अमरीकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ, जो कोविड -19 पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख हैं। उनका कहना है कि एक अध्ययन में पाया गया है कि पूरी दुनिया में हुए टेस्ट में दो से तीन प्रतिशत लोगों के खून में एंटीबॉडी पाए गए हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हैं। हालांकि ये संख्या बढ़ भी सकती है। एंटीबॉडी टेस्ट में पाया गया कि अप्रैल में करीब 48000 से 81000 लोगों में कोई लक्षण न होने बावजूद वे कोरोना पॉजिटव पाए गए। इस दौरान मात्र तीन प्रतिशत लोगों में ही एंटीबॉडी पाए गए हैं। इससे पता चलता है कि इम्यून सिस्टम के बेहतर रहने पर हम इस संक्रमण पर जीत हासिल कर सकते हैं।
टेड्रोस ने कोरोना वायरस महामारी के संकट के लिए 1918 के स्पेनिश फ्लू का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, 'य़ह बेहद खतरनाक मेल है और यह हो रहा है। जैसे कि 1918 के फ्लू ने 10 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी।' उन्होंने कहा, 'लेकिन अब हमारे पास टेक्नॉलजी है, हम उस आपदा को रोक सकते हैं। हम उस तरह के संकट को रोक सकते हैं। हमपर भरोसा करें, अभी और बुरा रूप देखने को मिलेगा। चलें इस आपदा को रोकें। यह वायरस है जिसे कई लोग अभी भी नहीं समझते।'
Updated on:
21 Apr 2020 12:54 pm
Published on:
21 Apr 2020 09:39 am
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