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कौन हैं हॉन्गकॉन्ग के जिमी लाई, जो चीन के सामने तनकर खड़े हैं

हॉन्गकॉन्ग में अरबों डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने वाले जिमी लाई लोकतंत्र के समर्थन में आवाज बुलंद करते रहे।

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कौन हैं हॉन्गकॉन्ग के जिमी लाई, जो चीन के सामने तनकर खड़े हैं

जिमी लाई

नई दिल्ली. चीन की वामपंथी सरकार के मुखर आलोचक रहे हॉन्गकॉन्ग के 76 वर्षीय मीडिया टायकून जिमी लाई पर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ के आरोप लगे हैं। चीन का खुलकर विरोध करने के कारण इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत इन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। दोषी पाए गए तो उन्हें उम्रकैद की सजा हो सकती है। लोकतंत्र समर्थक छवि वाले जिमी चीन सरकार के तमाम आरोपों को खारिज करते हैं। जानिए कौन हैं जिमी लाई?

क्या आरोप लगे हैं?
लाई के खिलाफ सोशल मीडिया पर भडक़ाऊ पोस्ट लिखने के आरोप हैं। चार्जशीट के मुताबिक उन्होंने पश्चिमी देशों से चीन और हॉन्गकॉन्ग पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। अभियोजन पक्ष की दलील है कि उनके लेखों से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उल्लंघन हुआ है।

मछुआरों की नाव में छिपकर हॉन्गकॉन्ग गए
चीन के ग्वांगझू प्रांत में जन्मे जिमी 12 वर्ष की उम्र में मछुआरों की नाव में छिपकर हॉन्गकॉन्ग चले गए थे। एक मिठाई की दुकान में मजदूर के रूप में काम किया। लगातार संघर्ष के बाद कुछ दशकों में वह हॉन्गकॉन्ग के सबसे रईस व्यक्ति बन गए। हॉन्गकॉन्ग में अरबों डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने वाले जिमी लाई लोकतंत्र के समर्थन में आवाज बुलंद करते रहे।

शी और चीन की खुलकर आलोचना
चीन में वामपंथी सरकार की सख्त नीतियों की परवाह किए बिना उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीतियों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने चीन की नीति, सेंशरशिप, प्रेस की आजादी पर अंकुश और तियानमेन नरसंहार पर जितना भी लिखा, वह चीन के लिए परेशानी का सबब साबित हुआ। चीन में लाई की किताबों के बिकने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद उन्होंने एपल डेली और डिजिटल मैगजीन नेक्स्ट की शुरुआत हुई। यहीं से उनकी मुश्किलें भी शुरू हुईं।

ब्रिटिश के अधीन था हॉन्गकॉन्ग
चीन के आधिपत्य से पहले हॉन्गकॉन्ग ब्रिटिश कॉलोनी रहा था। चीन ने वादा किया कि हॉन्गकॉन्ग 50 वर्षों तक पश्चिमी देशों की नागरिक स्वतंत्रता को बनाए रख सकता है। हालांकि, 1997 में चीनी शासन के अधीन आने के बाद चीन सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का आरोप लगा है।