
ट्रंप-शी की मुलाकात: अभी तय करना है लंबा सफर, अविश्वास और विवादों की चुनौतियां बरकरार
नई दिल्ली।अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर को खत्म करने की दिशा में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति ने ओसाका में सहमति जताई। जापान के ओसाका में G20 शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता के दौरान ट्रंप और शी इस बात पर सहमत हुए कि अमरीका और चीन को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।
हालांकि ट्रेड वॉर खत्म करने की दिशा में बढ़ते कदम को कुछ विशेषज्ञ शक की निगाह से देख रहे हैं। दोनों देशों के आर्थिक विशेषज्ञों को संशय है कि दो महाशक्तियों के बीच चल रही ये तनातनी क्या इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी?
Donald Trump का यू-टर्न? कहा- अमरीकी कंपनियां Huawei को बेच सकती हैं अपनी तकनीक
बता दें कि चीन और अमरीका ने एक-दूसरे के उत्पादों के आयात शुल्क यानी टैरिफ में भारी इजाफा किया है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ गई थीं । हालांकि ट्रंप और शी ने मिलकर इस दूरी को खत्म करने पर सहमति जताई। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अमरीका और चीन के रिश्ते सामान्य होने में काफी लंबा वक्त लगेगा। क्योंकि दोनों के बीच अविश्वास और कई मामलों पर विवाद है।
Huawei को मिली मंजूरी
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की टॉप टेलीकॉम कंपनी Huawei पर लगे बैन को हटाने की घोषणा की है। अब अमरीका में एक बार फिर से Huawei अमरीकी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर सकती है। इसके अलावा Huawei अपने उत्पादों को अमरीका में बेच सकता है।
अमरीका द्वारा Huawei पर प्रतिबंध लगाने के बाद से कई अमरीकी कंपनियां उसके साथ कोई व्यवसाय करने में असमर्थ थीं। मौजूदा समय में Huawei दुनिया में दूसरा सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी है।
डोनाल्ड ट्रंप का मानना था कि Huawei के कारण अमरीकी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसिलए उन्होंने Huawei के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के साथ ही कई प्रतिबंध लगा दिए थे।
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ता तनाव
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव को रोकने के लिए अमरीका कोशिश कर रहा है। अमरीका का मानना है कि चीन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अनाधिकृत तौर पर अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। इसलिए अमरीका भारत, श्रीलंका व अन्य देशों के साथ मिलकर चीन को कमजोर करना चाहता है।
चीन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अमरीका की मौजूदगी को लेकर हमेशा से चिंता जाहिर करता रहा है। चीन नहीं चाहता है कि अमरीका इस क्षेत्र में कोई दखल दे। क्योंकि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के जरिए चीन आर्थिक मजबूती के साथ एक महाशक्ति बनने की ओर कदम बढ़ना चाहता है।
अमरीका ने BRI का किया विरोध
चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ( BRI ) को लेकर अमरीका खासा नाराज है। इसको लेकर अमरीका ने आलोचना की है। हाल ही भारत दौरे पर आए अमरीका विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने BRI पर टिप्पणी करते हुए तीखी आलोचना की।
इसपर चीन ने माइक पोम्पियो के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा 'वह नहीं जानते कि पोम्पियो किसी जादू या किसी और चीज के प्रभाव में हैं या नहीं, लेकिन वह जहां भी जाते हैं BRI के बारे में जरूर बात करते हैं।’
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Updated on:
02 Jul 2019 06:21 pm
Published on:
02 Jul 2019 07:11 am
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