8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अंटार्कटिका में टूटा दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़, जानिए क्या है इसका आकार

Antarctica Iceberg अंटार्कटिका में टूटा दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड, आकार जानकर रह जाएंगे दंग

3 min read
Google source verification

image

Dheeraj Sharma

May 20, 2021

World Largest Iceberg break off an Antarctica

World Largest Iceberg break off an Antarctica

नई दिल्ली। बर्फ की खान कहे जाने वाले अंटार्कटिका ( Antarctica ) से बड़ी खबर सामने आई है। अंटार्कटिका की बर्फ की चादर तेजी से गर्म हो रही है। इसके चलते बर्फ के बड़े बड़े हिमखंड पिघल रहे हैं। अब अंटार्कटिका के तट से एक विशालकाय हिमखंड ( Iceberg ) टूट गया है। बताया जा रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है।
उपग्रहों और विमानों से ली गईं तस्वीरों के मुताबिक यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है। यह हिमखंड 170 किलोमीटर लंबा है और करीब 25 किलोमीटर चौड़ा है।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि आइसबर्ग ए-76 अंटार्कटिका में रोने आइस शेल्फ के पश्चिमी हिस्से से टूटा और अब वेडेल सागर पर तैर रहा है।

यह भी पढ़ेँः चीन के Tianwen-1 मिशन के Zhurong रोवर ने मंगल से भेजीं पहली तस्वीरें, देखिए वहां का नजारा

यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी के सैटलाइट तस्‍वीरों से नजर आ रहा है कि अंटारकर्टिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने आइस सेल्‍फ से महाकाय बर्फ का टुकड़ा टूटा है। इस हिमखंड के टूटने से दुनिया में दहशत का माहौल है। इसका आकार स्पेनिश द्वीप मालोर्का के जितना बताया जा रहा है।

ये है वजह
जलवायु परिवर्तन के चलते अंटार्कटिका की बर्फ की चादर भी गर्म हो रही है। यही वजह है कि ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, खासकर वेडेल सागर के आसपास।

जैसे ही ग्लेशियर पीछे हटते हैं, बर्फ के टुकड़े टूट जाते हैं और तब तक तैरते रहते हैं जब तक कि वे अलग नहीं हो जाते या जमीन से टकरा नहीं जाते।

इतना है हिमखंड का आकार
इस हिमखंड या बर्फ के पहाड़ के आकार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये टूटा हुआ टुकड़ा 4320 किलोमीटर तक फैला हुआ है। यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड कहा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसका आकार इतना बड़ा है कि इसमें चार न्यू यॉर्क शहर समा सकते हैं।

इस हिमखंड को दिया ये नाम
इस विशालकाय हिमखंड को ए-76 नाम दिया गया है। इस हिमखंड के टूटने की तस्‍वीर को यूरोपीय यूनियन के सैटलाइट कापरनिकस सेंटीनल ने खींचा है।

यह सैटलाइट धरती के ध्रुवीय इलाके पर नजर रखता है। ब्रिटेन के अंटार्कटिक सर्वे दल ने सबसे पहले इस हिमखंड के टूटने के बारे में बताया।

यह भी पढ़ेँः Super Cyclone yash का मंडराया खतरा, देश के इन इलाकों में 23 से 25 मई के बीच देगा दस्तक

इसलिए बढ़ सकती है मुश्किल
इस हिमखंड के टूटने के साथ ही दुनियाभर में चिंता भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इससे मुश्किलें और बढ़ सकती है। दरअसल नैशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर के मुताबिक इस हिमखंड के टूटने से सीधे समुद्र के जलस्‍तर में वृद्धि नहीं होगी लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से जलस्‍तर बढ़ सकता है।

यही नहीं ग्‍लेशियर्स के बहाव और बर्फ की धाराओं की गति को धीमा कर सकता है। सेंटर ने चेतावनी दी कि अंटारर्कटिका धरती के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेजी से गरम हो रहा है।

अंटारकर्टिका में बर्फ के रूप में इतना पानी जमा है जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर 200 फुट तक बढ़ सकता है।

वैज्ञानिकों की मानें तो ए-76 के टूटने की वजह जलवायु परिवर्तन नहीं बल्कि प्राकृतिक कारण हैं। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे दल की वैज्ञानिक लौरा गेरिश ने ट्वीट करके कहा कि ए-76 और ए-74 दोनों अपनी अवधि पूरी हो जाने के बाद प्राकृतिक कारणों से अलग हुए हैं।

वहीं नेचर मैगजीन के मुताबिक वर्ष 1880 के बाद समुद्र के जलस्‍तर में औसतन 9 इंच की बढ़ोत्‍तरी हुई है। इनमें से एक तिहाई पानी ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने से आया है।