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84 सिख दंगे भाजपा के लिए बन सकते हैं मुसीबत,अकाली दल ने उठाया सवाल

1984 के दंगों के दौरान अकेले कानपुर में ही 127 सिख मारे गए थे। जिनके परिवारों को अब तक न्याय नही मिला है।

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moradabad

अमरोहा: आगामी 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में पहली बार शिरोमणि अकाली दल ने भी दस्तक दे दी है। नवनियुक्त उत्तर प्रदेश प्रभारी कुलदीप सिंह भोगल ने आज गजरौला में प्रेस कॉन्फेंस के दौरान बताया कि उनकी पार्टी ने पिछले दस साल प्रकाश सिंह बादल की सरपरस्ती में पंजाब में सफलता पूर्वक सरकार चलाई है। अब अकाली दल सिखों की समस्यायों को हल करने लिए देश भर में अकाली दल के सदस्यता फार्म भरवा कर उन्हें जोड़ने का काम करने जा रही है। मात्र सौ रुपये का पंजीकरण फार्म भरकर जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसके लिए उनके सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल ने दिल्ली , हिमाचल मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ सहित कई प्रदेशों में प्रभारी नियुक्त कर दिए है।

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उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण है इसिलए यंहा का प्रभारी उन्हें बनाकर भेजा गया है। क्योकि 1984 के दंगों के दौरान अकेले कानपुर में ही 127 सिख मारे गए थे। जिनके परिवारों को अब तक न्याय नही मिला है। जिसके लिए वो कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से भी मिल चुके है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है। जिससे सिख समाज खफा है। उन्होंने सिखों के अल्प्संख्यक प्रमाण पत्र न जारी होने का भी मुद्दा उठाया।

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लोकसभा 2019 चुनाव पर साफ साफ जवाब न देते बोले कि वो उन सिखों की परेशानियों हल कराना चाहते , जो 1984 के दंगो में मारे गए और उन्हें अभी तक न्याय नही मिल पाया। राजनीतिक दल सिखों को चुनाव में केवल प्रयोग करता आ रहा है।उन्हें राजनीति में हिस्सेदारी नही दी जाती। अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाली दल मिलकर सिख समाज के लोगो को एक साथ लाकर उन्हें राजनीति में हिस्सेदारी दिलाने का काम करने जा रही है।

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यहां बता दें कि लोकसभा को लेकर भाजपा के लिए यूपी पहले ही टेढ़ी खीर होती जा है। क्यूंकि यहां के प्रमुख विपक्षी दल सपा और बसपा अब एक हो गए हैं और आने वाले दिनों में इस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो सकती है। लिहाजा सहयोगी दलों के आक्रामक तेवर भाजपा के सामने दोहरी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।अकाली दल भाजपा के साथ केंद्र व् पंजाब में शामिल है। लेकिन पंजाब में इस बार भाजपा अकाली दल की सरकार नहीं बन पाई थी। अब सिखों के मुद्दे पर अकाली दल का यूपी में दस्तक देना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।