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बंदरों का आतंक: यूपी के इस जिले में स्कूल में ताला लगने की नौबत, खौफ से बच्चों ने छोड़ा स्कूल

प्राथमिक विद्यालय में कुल 49 बच्चे पंजीकृत हैं। जिसमे से बंदरो के आतंक की वजह से दस पंद्रह बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं।

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moradabad

बंदरों का आतंक: यूपी के इस जिले में स्कूल में ताला लगने की नौबत, खौफ से बच्चों ने छोड़ा स्कूल

अमरोहा: जनपद में वन विभाग और शिक्षा विभाग की उदासीनता का खामियाजा इन दिनों नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है। जी हां जनपद के अलग अलग इलाकों में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है, कि आम लोगों के साथ साथ अब इसका असर स्कूलों में भी देखने को मिल रहा है। कुछ ऐसा ही नजार आजकल हसनपुर तहसील के गांव गंगेश्वरी में देखने को मिल रहा है। गांव के प्राथमिक विद्यालय में बंदरों के आतंक से बच्चों ने लगभग आना बंद कर दिया है। जिससे शिक्षक भी परेशान हैं। क्यूंकि बंदर काफी हमलावर हो गए हैं।

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इतने बच्चे हैं पंजीकृत

प्राथमिक विद्यालय में कुल 49 बच्चे पंजीकृत हैं। जिसमे से बंदरो के आतंक की वजह से दस पंद्रह बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं। बाकि के बच्चो ने बंदरो के डर की वजह से स्कुल आना बंद कर दिया है।

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एक साल से है आतंक

प्रधानाचार्या अभिलाषा रानी का कहना है कि स्कूल में एक साल से स्कूल में बंदरों के आतंक जारी है।कई बच्चो को बंदरो ने काट लिया है। चूंकि स्कूल की कक्षाओं में खिड़की नहीं है इसलिए बंदर बेरोकटोक अंदर घुस आते हैं और कक्षा में पढ़ रहे बच्चों पर हमला कर देते है। जिसकी वजह से बच्चो के साथ साथ हमे भी डर लगता है। कही हम पर भी हमला ना कर दे। विद्यालय परिसर में भी बच्चो पानी पीना जाना और टॉयलेट जाना भी मुश्किल हो गया है। अब तो नोबत यह है कि बच्चो को खुद अपने साथ घर से मुलाकर लाना पड़ता है।

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छात्र-छात्राओं में दहशत

वहीँ छात्र अमित कुमार का कहना है कि बच्चो को कई बार बंदर काट चुके है क्लास में बंदर घुस जाते है आते जाते बंदर बहुत डराते है। मैडम के साथ घर से स्कूल आना पड़ता है। सहायक अध्यापक रोमी सिंह का कहना है कि बंदरो के आतंक से स्कुल के बच्चे और हम भी बहुत डारे हुए है। विद्यालय परिसर के साथ साथ कक्षाओं में भी बंदर बहुत परेशान करते हैं और बंदरो के आतंक की वजह से स्कूल की पढ़ाई पर कितना फर्क पड़ रहा है। बच्चो को घर से बुलाकर लाना पड़ता है। स्कूल में बच्चो की निरंतर संख्या घटने लगी है।

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जिम्मेदार उदासीन

उधर इस समस्या का न तो अभी तक वन विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और न ही शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने। यही नहीं ग्रामीण भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे। तभी शायद लगातार यहां बंदरों का आतंक बढ़ गया है।


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