
मुरादाबाद: स्थानीय फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने गैंगरेप के आठ साल पुराने मामले में आज फैसला देते हुए चार आरोपियों को 20-20 साल की सजा और 25-25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि गैंगरेप में नामजद अन्य चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट द्वारा दी गई सजा को कम बताते हुए हाईकोर्ट में अपील की बात कही है। पीडिता ने घटना के तीन साल बाद उसका वीडियो वायरल और ब्लैकमेल करने पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।
क्या था मामला
डिलारी थाना क्षेत्र के लालपुर गांव की रहने वाली युवती ने वर्ष 2013 में डिलारी थाने में पांच नामजद समेत आठ लोगों के खिलाफ गैंगरेप करने, वीडियो क्लिप बनाने और ब्लैकमेल करने के आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। पीड़ित युवती ने आरोप लगाया था की 2010 में वह । बैंक से पैसे निकालकर युवती मलकपुर सैमली गांव के पास एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गई थी। मंदिर से लौटते हुए रास्ते में युवती को गजेंद्र और देवेश नाम के दो युवक मिले। दोनों युवकों ने युवती के मुंह पर कपड़ा डालकर उसको गन्ने के खेत में ले गए जहां पहले से ही शशिकांत, मोहित, विशाल, कुलदीप और कर्मवीर उर्फ बंटी मौजूद थे। सभी आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने युवती के साथ बारी-बारी से रेप किया और घटना की वीडियो भी मोबाइल से बना ली। रेप के बाद सभी आरोपी युवती को खेत में छोड़कर मौके से फरार हो गए। बेहोशी की हालत में युवती आधे घण्टे बाद होश में आई और बदहवास हालात में घर लौटी।
इज्जत की खातिर चुप रही पीडिता
गैंगरेप की घटना के बाद पीड़ित युवती अपनी इज्जत की खातिर चुप हो गयी और उसने किसी से इसका जिक्र नहीं किया। घटना के बाद युवती की शादी ठाकुरद्वारा थाना क्षेत्र में रहने वाले एक युवक से हो गयी। शादी के बाद अपने पति के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही युवती अपने साथ हुए हादसे को पीछे छोड़ चुकी थी। एक दिन पीड़ित युवती अपने पति और बच्ची के साथ बाजार दवाई लेने गई थी। वहां उसे गैंगरेप के आरोपी शशिकांत और देवेश मिल गए। दोनों आरोपियों ने उसे मोबाइल में क्लिप दिखाकर इशारे से अपने पास बुलाया लेकिन युवती दोनों की बात अनसुनी कर पति के साथ घर लौट आई।
युवती द्वारा आरोपियों को अनसुना करने के बाद आरोपियों ने उसका वीडियो वायरल कर दिया और उसके पति को मोबाइल पर भेज दिया। मोबाइल पर वीडियो देखने के बाद पति ने युवती से मामले की जानकारी ली जिसके बाद वर्ष 2013 में युवती ने डिलारी थाने में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की।
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वायरल वीडियो से हुई आरोपियों की पहचान
पुलिस ने पांच नामजद समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी और वायरल वीडियो की क्लिप भी चार्जशीट में शामिल की। कोर्ट में बहश के दौरान सहायक शासकीय जिला अधिवक्ता द्वारा वीडियो चिप की फोरेंसिक जांच करने की अपील की गई जिसके बाद कि गयी जांच में वायरल वीडियो सही पाया गया और आरोपियों की पहचान भी वीडियो से साफ हो गयी।
पांच साल तक हुई सुनवाई
पांच साल तक चले मुकदमे के बाद आज फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जज सत्यप्रकाश द्विवेदी ने फैशला सुनाते हुए चार आरोपियों गजेंद्र, देवेश,शशिकांत और कुलदीप को दोषी मानते हुए 20-20 साल की सजा और 25-25 हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि विनीत, मोहित,विशाल, ओर कर्मवीर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रेशमा बेगम इस फैसले को इंसाफ की जीत बताती है।
Published on:
20 Apr 2018 10:12 pm
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