हिन्दू परंपरा के अनुसार, इस दिन शिवजी का प्राकट्य हुआ था। शिवजी का विवाह भी इस दिन माना जाता है। इस दिन व्रत, उपवास, मंत्रजाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया गया है। शिवरात्रि की प्रत्येक पहर परम शुभ होती है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर महादेव और मां पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना से भक्तों को मनचाहा वरदान मिलता है। ये पूजा चार प्रहर में की जाती है।
प्रथम प्रहर की पूजा समय- 8 मार्च शाम 06.25 बजे से रात्रि 09.28 बजे तक
दूसरे प्रहर की पूजा का समय- रात 09.28 बजे से 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे तक
तीसरे प्रहर की पूजा का समय- 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे से सुबह 03.34 बजे तक
चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय- 9 मार्च को सुबह 03.34 बजे से सुबह 06.37 बजे तक
इस बार की महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर ग्रह पांच राशियों में होंगे। चंद्र और मंगल एक साथ मकर राशि में होंगे। यह संयोग लक्ष्मी नामक योग बना रहा है। इसलिए इस बार शिवरात्रि पर धन संबंधी बाधाएं दूर की जा सकती हैं। चंद्र और गुरु का प्रबल होना भी शुभ स्थितियां बना रहा है। इस बार की शिवरात्रि पर रोजगार की मुश्किलें भी दूर की जा सकती हैं।
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन निर्जला व्रत रखना या केवल फलाहार व्रत रखना अच्छा होता है। सुबह जल्दी उठें, स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के नजदीक भोले शंकर के किसी मंदिर में जाएं। भगवान शिव का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
फिर भोलेनाथ या शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, सफेद चंदन, इत्र, जनेऊ, फल और मिठाइयां चढ़ाएं. भगवान शिव को केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें. ये पूजा की वो विधि है जिससे भक्तों को भगवान का वरदान ही नहीं मिलता, बल्कि हर दर्द, हर तकलीफ से मुक्ति भी मिल जाती है।