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अमरोहा में बंदरों की मौत के पीछे चूहे मार दवा, मौत का सिलसिला अब भी जारी

बरेली स्थित आईवीआरआई के डाक्टरों ने बंदरों के मौतों के पीछे बताई वजह, रिपोर्ट स्थानीय वन विभाग को दी गई

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मुरादाबाद/अमरोहा: जनपद के ढबारसी गांव में बीते एक सप्ताह से अधिक समय में 100 से अधिक बंदरों की मौत का सिलसिला जारी है। इसके बाद से स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग और प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, बरेली स्थित आईवीआरआई के डाॅक्टरों ने बंदरों के इस तरह से मौतों के पीछे धीमे जहर देने की बात कही है। यह रिपोर्ट स्थानीय वन विभाग को दे दी गई है, लेकिन अभी तक वन विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है। वहीं, इलाके में बंदर लगातार मर रहे हैं। खुद डीएम और एसपी ने गांव पहुंचकर बंदरों की मौत के बारे में जानकारी ली है।

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एक हफ्ते पहले शुरू हुआ मौत का सिलसिला

यहां बता दें की एक हफ्ते पहले गांव में एकाएक कई बंदर खूनी उलटी और दस्त के बाद मरते चले गए। पहले ग्रामीणों ने कोई बीमारी समझी, लेकिन देखते ही देखते यह संख्या 100 के पार हो गई। इसके बाद गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक में हड़कंप मच गया था। इसके बाद स्थानीय पशु चिकित्सकों ने बंदरों का पोस्टमार्टम कराया, जिसमें बंदरों की मौत की वजह खूनी पेचिस बताई गई थी। बिसरा सुरक्षित कर आईवीआरआई बरेली भेजा गया था। उसने तत्परता दिखाते हुए शुक्रवार रात ही रिपोर्ट अमरोहा प्रशासन को भेज दी। इसमें जिंक फास्फोइड यानि चूहे मार दवा की ओर इशारा किया गया है। इसके जहर से ही लीवर और फेफड़े गल जाते हैं। हालांकि, अभी कोई भी अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी रिपोर्ट की अध्यन की बात कर रहे हैं।

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डीएम और एसपी पहुंचे गांव

उधर, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए खुद डीएम और एसपी अमरोहा ने गांव का मुआयना किया। उन्‍होंने स्थानीय लोगों के साथ वन विभाग और पशु चिकित्सकों से हाल जाना, जबकि अब भी बंदरों की मौत का सिलसिला जारी है। इसके साथ ही बीमार बंदरों का इलाज भी शुरू कर दिया गया है। उन्हें ग्लूकोज दिया जा रहा है। साथ ही इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में बंदरों को ये जहर दिया किसने।


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