ऐसे खुला मामला
हिमाचल प्रदेश के शिमला के रहने वाले अधिवक्ता जोबन जोशी केपिटल फस्ट कम्पनी के लिए मिडिटेटर का काम करते है। अधिवक्ता के द्वारा समता विकास समिति एनजीओ से कैपिटल फस्ट कम्पनी के बीच एक समझौता कराया गया था ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए। जिसके लिए एनजीओ के मालिक आरिफ और राजेश को टोकन मानी के तौर पर तीन लाख रुपये केपिटल फस्ट कंपनी को के खाते में डाले गए। अधिवक्ता एनजीओ की जांच करने के लिए मुरादाबाद आया। अधिवक्ता के द्वारा जब एनजीओ के कागजो की जांच की गई तो कागजो में कमियां पायी गयी। जिसपर एनजीओ को आगे की डील के बारे में कुछ भी जबाब नही दिया और मौके से जाने लगा। इस बात से एनजीओ के सदस्य नाराज हो गए और अधिवक्ता को बंधक बना लिया।
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अधिवक्ता को बंधक बनाया
एनजीओ ने अधिवक्ता को नकली दो हज़ार के नोट की गड्डी दिखाई की देखो हमारे पास कितना रुपया है। क्योंकि एनजीओ ने पहले ही तीन लाख रुपये दे रखे थे। इसलिए जब तक पचास हज़ार रुपये एनजीओ के खाते में डालने के बाद ही छोड़ने की बात कही गयी। अधिवक्ता के परिजनों ने एनजीओ के खाते में रुपये डालने के बाद अधिवक्ता को छोड़ दिया जिसके बाद अधिवक्ता और उनके परिजनों ने पाकबड़ा पुलिस से सम्पर्क किया।
इतने नकली नोट बरामद जिसपर पुलिस ने पाकबड़ा थाना में आरिफ और राजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अधिवक्ता की निशान देही पर मौके पर पहुच कर एनजीओ के एक सदस्य अनुज को गिरफ्तार कर लिया। जिसके पास से दो हज़ार के नकली नोटो की 93 गड्डियां बरामद की गयी।