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यूपी में 400 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा: मास्टरमाइंड अरेस्ट; SIT ने पकड़ा बड़ा गिरोह

UP Crime News: मुरादाबाद की SIT ने 400 करोड़ रुपये की GST चोरी करने वाले मास्टरमाइंड मो. इखलाक और उसके सहयोगी इत्तेफात आलम को गिरफ्तार किया है। गिरोह ने बेरोजगारों के दस्तावेज़ों से 144 फर्जी फर्में बनाई और दिल्ली के कॉल सेंटर की मदद से फर्जी GST बिल तैयार किए।

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up 400 crore gst fraud mastermind arrested

यूपी में 400 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा: Image Source - 'FB' @moradabadpolice

400 crore gst fraud in UP: यूपी के मुरादाबाद की एसआईटी ने बेरोजगारों के दस्तावेज़ों का गलत इस्तेमाल कर 400 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी करने वाले मास्टरमाइंड मो. इखलाक और उसके सहयोगी इत्तेफात आलम उर्फ दानिश कबाड़ी को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने केवल दो मोबाइल नंबरों पर 144 फर्जी फर्में बनाकर करोड़ों की चोरी की योजना बनाई थी। आरोपी की डायरी से 535 फर्मों का विस्तृत रिकॉर्ड भी बरामद हुआ है।

कैसे हुई योजना की शुरूआत

एसआईटी की जांच के अनुसार, गिरोह ने बेरोजगारों को नौकरी और लोन दिलाने का झांसा दिया और उनके दस्तावेज़ हासिल किए। इसके बाद इन दस्तावेजों की मदद से फर्जी फर्में खोली गईं और देशभर में GST चोरी की गई। इखलाक ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसने अन्य छह लोगों के साथ मिलकर 4 से 5 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है।

मास्टरमाइंड पर शिकंजा

एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार और सीओ वरुण सिंह ने मुरादाबाद पुलिस लाइन में बताया कि लोहे लदे दो ट्रक पकड़े जाने के बाद राज्य कर अधिकारियों की तहरीर पर AKE Enterprises और Saurabh Enterprises के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद एसएसपी सतपाल अंतिल के निर्देश पर 11 सदस्यीय SIT ने जांच शुरू की, जिससे गिरोह का मास्टरमाइंड इखलाक और सहयोगी इत्तेफात आलम पकड़ में आए।

बाकी छह सदस्य अभी फरार

एसआईटी के मुताबिक, गिरोह का सरगना अभी तक पकड़ में नहीं आया है। मास्टरमाइंड की डायरी से मिली जानकारी के आधार पर गिरोह में शामिल अन्य छह सदस्यों की तलाश की जा रही है। गिरफ्तारी में बरामद किए गए सामान में एक मोबाइल फोन, आठ एटीएम कार्ड, तीन आधार कार्ड और पॉलिसी बाजार कार्ड शामिल हैं।

फर्जी फर्मों की तकनीकी मदद

गिरोह ने दिल्ली में चल रहे कॉल सेंटरों से डेटा हासिल किया। नौकरी और लोन के झांसे में लोगों से डेटा लिया गया और OTP के जरिए फर्जी फर्में खोली गईं। कॉल सेंटर को हर फर्म के बदले 30 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक की रकम दी जाती थी। ये फर्जी फर्मों के यूजरनेम और पासवर्ड CA को व्हाट्सएप के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते थे, जिनका इस्तेमाल ई-वे बिल और अन्य दस्तावेज तैयार करने में किया गया।

अदालती प्रक्रिया और आगे की जांच

एसपी क्राइम ने बताया कि मुरादाबाद में दर्ज दो प्राथमिकी सिविल लाइंस थाने में 31 अक्टूबर को की गई थीं। मामले की जांच के लिए SIT लगातार परत दर परत खुलासा कर रही है। गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगातार काम कर रही हैं।


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