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योगी सरकार का चीनी मिलों पर एक्शन! मुरादाबाद में 40 करोड़ बकाए पर केस, किसानों में बढ़ा रोष

UP Sugar Mill News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ना मूल्य बकाया पर सख्ती दिखाते हुए मुरादाबाद की बिलारी चीनी मिल मालिक समेत तीन लोगों पर केस दर्ज कराया है। करीब 40 करोड़ रुपये बकाया होने और टैगिंग नियमों के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई की गई है।

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योगी सरकार का चीनी मिलों पर एक्शन! Image Source - Social Media 'X'

UP Sugar Mill Moradabad News:उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ना मूल्य भुगतान में लापरवाही करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। मुरादाबाद जिले की बिलारी स्थित अयुध्या चीनी मिल पर 40 करोड़ रुपये का बकाया होने के चलते मिल मालिक राणा वीर प्रताप सिंह समेत तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।

टैगिंग नियम उल्लंघन पर दर्ज हुआ मुकदमा

बिलारी गन्ना सहकारी समिति के सचिव की ओर से बिलारी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया। इसमें मिल मालिक राणा वीर प्रताप सिंह, मुख्य वित्त अधिकारी गौरव गर्ग और उप महाप्रबंधक अनिल कुमार मिश्रा को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि टैगिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए मिल ने करीब 12 करोड़ रुपये की बगास बेच दी और उससे किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया।

करोड़ों का बकाया, नोटिस के बावजूद नहीं हुआ भुगतान

एफआईआर के अनुसार, अयुध्या चीनी मिल ने 5 नवंबर 2024 को पेराई शुरू की थी और 26 फरवरी 2025 को बंद की थी। इस दौरान किसानों से खरीदे गन्ने का कुल मूल्य 164.21 करोड़ रुपये था। इसके सापेक्ष 2 सितंबर 2025 तक केवल 124.30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि 39.91 करोड़ रुपये अब भी बकाया है। जिला गन्ना अधिकारी, उप गन्ना आयुक्त और यहां तक कि जिलाधिकारी की ओर से कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन मिल प्रबंधन ने भुगतान नहीं किया।

किसानों में आक्रोश, धरना-प्रदर्शन तेज

लगातार बकाया भुगतान न मिलने से किसानों में भारी रोष है। किसान लंबे समय से गन्ना मूल्य भुगतान की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। मुरादाबाद जिले में बिलारी चीनी मिल पर सबसे ज्यादा बकाया है, जबकि राणा ग्रुप की ही बेलवाड़ा चीनी मिल पर भी 15 करोड़ रुपये का बकाया है। दूसरी ओर अगवानपुर और रानी नागल मिल ने किसानों का पूरा भुगतान कर दिया है।

लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन मानकर हुई कार्रवाई

जिला प्रशासन का कहना है कि मिल ने न केवल भुगतान में लापरवाही की बल्कि लाइसेंस की शर्तों का भी उल्लंघन किया। टैगिंग नियमों के विरुद्ध बगास बेचने और किसानों को समय पर भुगतान न करने पर इसे सीधा किसानों का शोषण माना गया। सरकार ने सख्त संदेश देते हुए स्पष्ट किया है कि किसानों के हितों से खिलवाड़ करने वाली किसी भी चीनी मिल को बख्शा नहीं जाएगा।


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