
मुरादाबाद: जनपद में उत्तराखंड की सीमा से लगी ठाकुरद्वारा तहसील इन दिनों तेंदुए का आतंक बना हुआ है। पिछले सप्ताह ही ग्रामीणों ने एक तेंदुए को खेतों से एक तेंदुआ पकड़ा था। जिसे मारपीट कर अधमरा कर दिया था। उसके बाद वन विभाग को सौंप दिया था। अभी ये निपटा भी नहीं था कि इलाके में दो तेंदुए के शावक मिल गए। जिसके बाद ग्रामीण और दहशत में हैं क्यूंकि मादा तेंदुआ भी आसपास होगी। तेंदुए और जंगली जानवरों का आतंक इस कदर है कि अब शाम ढले लोगों ने घरों से निकलना ही छोड़ दिया है। वन विभाग भी लगातार निगरानी नहीं कर पा रहा। जिससे ग्रामणी ख़ासा खफा हैं।
स्थानीय वन रेंजर दिनेश शर्मा ने बताया कि तेंदुए के दो शावक मिले हैं। इन्हें फ़िलहाल अभी खेतों में ही रखवाया गया है। क्यूंकि मादा तेंदुआ अपने बच्चों के पास जरुर आएगी। अगर उसे नहीं मिले तो वो और खूंखार हो जाएगी। उसे पकड़ने का प्रयास किया जायेगा। अगर मादा तेंदुआ नहीं आई तो इन शावकों को इनके मूल निवास जंगलों में छोड़ा जाएगा।
यहां बता दें कि इस इलाके में लगातार तेंदुआ और जंगली जानवरों के मिलने से इलाके के लोग काफी दहशत में हैं। महिलायें और बच्चे अब शाम को घर के बाहर नहीं निकलते। इससे पहले ही पिछले सप्ताह ही पानुवाला में ग्रामीणों ने एक तेंदुआ पकड़ा था। अब उसके शावक मिलने से ग्रामीणों के मुताबिक इस इलाके में काफी संख्या में जंगली जानवर घुसपैठ कर गए हैं। इसलिए वन विभाग को उचित कदम उठाना चाहिए। क्यूंकि खेतीबाड़ी वाले इलाके में घर बैठकर काम कैसे चलेगा। इससे पहले तेंदुआ ठाकुरद्वारा में एक बच्चे की जान ले चुका है,जबकि आधा दर्जन से अधिक लोगों को घायल कर चुका है। जबकि पालतू पशु और आवारा जानवरों की गिनती नहीं हो सकी है। रोजाना ही शिकार बन रहे हैं।
जंगली जानवरों की आवक पिछले दो सालों में ज्यादा बढ़ी है। वन अधिकारीयों के मुताबिक भोजन और रामगंगा की तलहटी में पानी की उपलब्धता जंगली जानवरों को इस ओर आकर्षित कर रही है। चूंकि नदी के आस पास भेड़ बकरी नील गाय आदि मिल जाते हैं,जो इन जंगली जानवरों के पसंदीदा भोजन है। फिर भी ग्रामीणों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाते हैं।
Published on:
01 May 2018 04:35 pm
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