
यहां कब्रिस्तान बन गया तालाब, दफनाने के लिए दो गज जमीन तक नसीब नहीं
मध्य प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में मुक्तिधामों की दुर्दशा से जुड़े घटनाक्रम तो आए दिन सामने आते ही रहते हैं। कई जगहों पर तो मृतक के शोकाकुल को अंतिम संस्कार की जगह तक नहीं मिलती। प्रशासन की उदासीनता के चलते स्वजन का अंतिम संस्कार करने में कई परेशानियों का सामना करना पढ़ता है। एक बड़े तबके को अभी इन परेशानियों से निजात मिली भी नहीं कि प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण मध्य प्रदेश के मुरैना से सामने आया है। जिले में स्थित एक कब्रिस्तान में बरसात का पानी इस कदर भरा हुआ है कि मानों वो कब्रिस्तान न हो, बल्कि कोई तालाब हो।
कब्रिस्तान के हालात ये हैं की यहां इंतकाल के बाद किसी शक्स को दफनाने के लिए दो गज की जमीन तक नसीब नहीं हो पा रही। वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि, क्षेत्र के साथ साथ जिलेभर के लगभग सभी जिम्मेदारों को अपनी इस गंभीर समस्या के बारे में बताया है। बावजूद इसके अबतक इन समस्याओं का कोई निराकरण नहीं हो सका है। अब आखिरकार जिम्मेदारों से ना उम्मीद होकर स्थानीय ग्रामीण खुद अपने स्तर पर कब्रिस्तान में भरा पानी निकालने के लिए इंजन लगाकर पानी निकालना शुरु किया तो लेकिन उनका ये अथक परीश्रम नाकाफी साबित हो रहा है। ऐसे में ग्रामीणों के बीच जिम्मेदारों के प्रति नाराजगी नजर आ रही है।
बेटे का शव कांदे पर लिए खड़े रहे पिता
बता दें कि, धर्मगढ़ गांव में रहने वाले इस्लाम खान के बेटे का सुबह लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। जिसे दफनाने के लिए ग्रामीणों ने गांव के कब्रिस्तान की तरफ निकले। लेकि, कब्रिस्तान के हालात देख वो सभी हैरान रह गए। यहां कब्रिस्तान की भूमि पर कोई एक कोना मात्र भी ऐसा बाकि नहीं था, जहां इस्लाम खान अपने बेटे को दफना सकते थे।
कई बार लगा चुके प्रशासन से गुहार
कब्रिस्तान के लिए 15 बिस्वा जमीन रखी गई है। यहां जमीन के अलावा अन्य कोई व्यवस्था नहीं है। कब्रिस्तान की जगह गड्ढानुमा जगह होने के कारण यहां हर साल बारिश के दिनों में जलभराव हो जाता है। जिसके चलते इस अवधि में होने वाली मौत पर स्थानीय लोग कब्रिसतान का इस्तेमाल नहीं कर पाते। इस गंभीर समस्या को लेकर ग्रामीण हर स्तर पर जिम्मेदारों से गुहार लगा चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार, वो तहसीलदार, विधायक, केंद्रीय मंत्री और कलेक्टर तक को अपनी इस समस्या से जुड़ा आवेदन दे चुके हैं। लेकिन, अबतक कहीं से कोई निदान करने का आश्वासन तक नहीं मिला है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि, कब्रिस्तान की गड्ढेनुमा जमीन में अगर मिट्टी डलवाई जाए और चारों और से बाउंड्रीवाल निर्माण कर जगह संरक्षित की जाए तो हमें हर साल में 6-8 महीने होने वाली इस समस्या से निजात मिल सकती है। उन्होंने कहा कि यही मांग हम लिखित रूप से इलाके के हर एक जिम्मेदार से कर चुके हैं, बावजूद इसके आज तककोई काम नहीं हुआ है। जिसका नतीजा ये है कि अब कब्रिस्तान में दफनाने के लिए जगह तक नहीं है।
Published on:
07 Oct 2023 02:18 pm
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