वन मंत्री ने बातचीत के दौरान उन्होंने वनकर्मियों को बंदूक के लाइसेंस दिलाने की बात कही लेकिन चलाने की परमीशन पर बोले मैं बहस नहीं करना चाहता और उठकर चल दिए। इससे पूर्व मंत्री से पूछा कि आप चंबल नदी तक आए रास्ते में आपको अवैध रेत उत्खनन की समस्या दिखी क्या, उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल हमें तो नहीं दिखा फिर भी मेरी जानकारी में हैं। हम उचित कार्रवाई करवाएंगे। जब उनसे पूछा कि आप चंबल नदी पर आ रहे थे तब रास्ते में रेत से भरी टै्रक्टर ट्रॉली लगी हुई थीं, तो उन्होंने कहा है हम दिखवाते हैं।
एसपी, कलेक्टर मिलकर करेंगे माफिया पर कार्रवाई
मंत्री से पूछा कि मुरैना में वन विभाग ने पिछले छह महीने में अवैध रेत उत्खनन की एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं की है तो उन्होंने कहा कि अकेला वन विभाग ही नहीं, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक मिलकर माफिया के खिलाफ कैसे कार्रवाई हो, इस पर बात करेंगे। जब उनसे पूछा गया कि आप गया कि आप जलीय जीव घडिय़ाल को रिलीज करने आए हैं और यहां कुछ ही दूरी पर रेत के अवैध उत्खनन से इनके जीवन पर संकट मडऱा रहा है तो मंत्री जवाब न देते हुए बोले किसी को किसी कुछ और पूछना हैं यह कहकर उठकर चल गए।
इसलिए नष्ट नहीं कर सके डंप रेत
वन मंत्री चंबल नदी पर थे तब वन विभाग के अधिकारी आपस में चर्चा कर रहे थे कि मंत्रीजी का कार्यक्रम अचानक बन गया इसलिए डंप रेत को नष्ट नहीं कर सके। यहां बता दें कि वन मंत्री चंबल नदी के पुराने राजघाट पुल के पास गए, उससे पहले पुल के आसपास हजारों डंपर रेत वहां डंप हो रहा था। जिसके बड़ी मात्रा में ढेर लगे हुए थे। ये रेत यह स्पष्ट कर रहा था कि अवैध उत्खनन बड़े स्तर पर चल रहा है। यहां तक कुछ स्टाफ तो यह भी कह रहा था कि दस मिनट पहले ही यहां से टै्रक्टर ट्रॉली रेत भरकर निकले हैं।
बाहर से निकलते रहे ट्रैक्टर ट्रॉली
वन मंत्री देवरी घडिय़ाल केन्द्र के अंदर पूरे अमले के साथ मौजूद थे। रेत माफिया के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह रेत से भरे टै्रक्टर-ट्रॉली लेकर घडिय़ाल केन्द्र के आगे से निकलते रहे। यहां तक मंत्री का काफिला चंबल नदी से लौटकर आ रहा था तब रास्ते में भी रेत से भरे टै्रक्टर ट्रॉली मिले।