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यूरिया के लिए लगी किसानों की लंबी लाइन, टोकन नहीं मिले तो किया हंगामा

- कड़ाके की ठंड में घंटों इंतजार के बाद मिल रहा यूरिया, खाद है लेकिन व्यवस्था दुरस्त नहीं होने से परेशान हो रहे किसान - जिले के अंबाह, पोरसा भी यूरिया को लेकर किया किसानों ने हंगामा

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मुरैना. डीएपी के बाद अब कड़ाके की ठंड में यूरिया के लिए किसानों की सुबह से ही लंबी लाइन लग रही है। किसान दोबारा लाइन में लगे तो टोकन वितरण बीच में ही बंद कर दिया, उसके बाद किसानों ने हंगामा कर दिया। उधर अधिकारी भी वहां से चले गए।
व्यवस्था दुरस्त न होने के चलते खाद के लिए किसान परेशान हो रहा है। पहले डीएपी के लिए कई दिन चक्कर लगाकर घंटों लाइन में लगे तब मिल सका, वही स्थिति अब यूरिया के लिए हो रही है। गुरुवार की सुबह पांच बजे से ठंड में किसान यूरिया के लिए लंबी लाइन में लगे रहे। आठ बजे के बाद तहसीलदार सीताराम वर्मा अधीनस्थों के साथ पहुंचे। टोकन बांटना प्रारंभ किया लेकिन टोकन लेकर फिर से किसान लाइन में लग गए इसलिए बीच में ही टोकन बांटना बंद करना पड़ा। जो किसान टोकन नहीं ले पाए, उन्होंने हंगामा कर दिया फिर भी किसान बिना टोकन के लौट गए। अधिकारियों की मानें तो डीएमओ गोदाम में सुबह साढ़े चार सौ टन यूरिया का स्टॉक था लेकिन वितरण की व्यवस्था ठीक न होने से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा है।
-पोरसा: वेयर हाउस पर किसानों ने किया हंगामा
पोरसा में यूरिया खाद की किल्लत झेल रहे किसानों ने गुरुवार को पोरसा बेयर हाउस पर हंगामा कर दिया। हंगामे की सूचना मिलते ही कांग्रेस विधायक देवेंद्र सखवार भी किसानों के बीच पहुंच गए, जहां उन्होंने कृषि विकास अधिकारी से किसानों को खाद वितरण न होने की वजह जानी तो कृषि विकास अधिकारी ने कह दिया कि सर्वर नहीं चल रहा है, इसलिए खाद वितरण होने में परेशानी आ रही है। इस मौके पर विधायक के साथ मोनू सिंह तोमर, मदनमोहन कटारे, बबलू उपाध्याय, विकास पचौरी, संजय सिंह सिकरवार, अरवाज खान आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

  • खाद के लिए दर-दर भटक रहा किसानअंबाह. किसान दिवस के अवसर पर भारतीय किसान यूनियन ने किसान सप्ताह कार्यक्रम के तहत किसानों से संपर्क किया। इस दौरान किसानो की समस्याओं को सुना और मुख्य समस्याओं को चिन्हित किया। भारतीय किसान यूनियन के धर्मेंद्र तोमर ने बताया कि किसान, राष्ट्र की जीवनधारा और 'अन्नदाता' के रूप में सम्मानित, भारत की समृद्धि की नींव हैं। उनका अथक परिश्रम देश का पेट भरता है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कायम रखता है और हर घर की ताकत सुनिश्चित करता है, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते आज किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहा है।

कथन

  • प्रशासन खाद की कालाबाजारी कर रहा है, जिससे किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। अगर अधिकारियों ने व्यवस्था नहीं सुधारी तो हम खाद वितरण केंद्र के बाहर ही धरना-प्रदर्शन करेंगे।देवेंद्र सखवार, विधायक अंबाह
  • आज सुबह सर्वर में समस्या होने की वजह से खाद वितरण का काम रुक गया था। फिर से वितरण का कार्य शुरू किया गया है।मोहनलाल शर्मा, एसएडीओ, कृषि विभाग