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मुरैना में न कोरोना वार्ड बना और न शुरू हुई जांच, नहीं लिए जा रहे सेंपल

सबलगढ़ की महिला ग्वालियर में इलाज के दौरान आई पॉजीटिव, फिर भी स्वास्थ्य महकमा अलर्ट नहीं, महिला के घर पर की सर्वे, नहीं मिले किसी में कोरोना के लक्षण, इसलिए नहीं कराए परिजन के सेंपल

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मुरैना. जिले में कोरोना ने दस्तक दे दी है। सबलगढ़ की महिला इलाज के दौरान ग्वालियर में पॉजीटिव पाई गई, उसको वहीं पर आइसोलेट किया गया है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग को कोरोनो को लेकर अभी तक जिस तरह की तैयारी करना चाहिए, वह नहीं कर सका है। जिला अस्पताल सहित जिले भर में न तो कोरोना वार्ड बनाए हैं और न संदिग्ध सर्दी, जुकाम व बुखार के मरीजों की जांच शुरू नहीं की है। सेंपलिंग की कोई व्यवस्था नहीं हैं। अगर कोई मरीज संदिग्ध आता है और उसका सेपल लेना हैं तो उसको ग्वालियर मेडिकल कॉलेज ही भेजा जाएगा।

सबलगढ़ की चार माह की गर्भवती महिला को परेशानी हुई तो उसको इलाज के लिए चार दिन पूर्व ग्वालियर ले जाया गया। वहां बच्चे की गर्भ में मौत हो गई। उधर महिला का इलाज चला, उसको सर्दी जुकाम व बुखार की शिकायत आई तो 23 जून को महिला का कारेानो टेस्ट कराया गया, सेंपलिंग कराई, जांच के उपरांत महिला पॉजीटिव पाई गई। महिला को ग्वालियर सरकारी अस्पताल में ही आइसोलेट किया गया है। उधर देश में बढ़ते कोरोना के चलते सरकार ने अलर्ट किया है और व्यवस्थाएं दुरस्त कर अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। लेकिन मुरैना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यह तो दावा कर रहे हैं कि जिला मुख्यालय सहित प्रत्येक विकासखंड स्तर के अस्पतालों में पांच- पांच बेड संरक्षित कर दिए हैं। लेकिन जिला अस्पताल में ऐसी कोई व्यवस्था सक्रिय नजर नहीं आई। जिस डेंगू वार्ड को कोरोना के लिए संरक्षित होने का दावा किया गया है लेकिन उसमें ऑक्सीजन पॉइंट व पलंग सहित पूरा वार्ड अव्यवस्थित पड़ा हुआ है।

जिले में सेंपलिंग की व्यवस्था नहीं

जिला मुख्यालय के अस्पताल में इन दिनों सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीज बड़ी संख्या में भर्ती हैं। उसके बाद भी सेपलिंग की व्यवस्था नहीं हैं। अगर कोई संदिग्ध मरीज आता भी है तो उसको एंबुलेंस से ग्वालियर भेजा जाएगा, स्थानीय स्तर पर सेंपलिंग की कोई व्यवस्था नहीं हैं।

जिला अस्पताल में 300 से अधिक मरीज भर्ती

जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में 90 पलंग पर 150 और फीमेल वार्ड में 90 पलंगों पर 150 से अधिक मरीज भर्ती हैं। उनमें ज्यादातर सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीज हैं। मेडिसिन के चिकित्सकों का कहना हैं कि बुखार इन दिनों ऐसे चल रहा है जो लंबे समय तक नहीं जा रहा। अगर इन मरीजों की सेंपलिंग कराई जाए तो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं।

प्रोटोकॉल का नहीं हो रहा पालन

जिले में कोरोना पॉजीटिव केस सामने आने के बाद भी अस्पतालों में प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है। जिला अस्पताल में एक मरीज एक अटेंडर के बजाय एक मरीज के साथ तीन चार अटेंडर वार्ड में बैठे रहते हैं। यहां न तो मास्क और न सेनेटाइजर की व्यवस्था की जा रही है, सोशल डिस्टेंस का भी पालन नहीं हो रहा है।

ये बोले जिम्मेदार

सबलगढ़ की महिला का चार माह का बच्चा खत्म हो गया। उसका ग्वालियर में ही इलाज चल रहा था, उसी दौरान कोरोना जैसे लक्षण दिखे तो उसका टेस्ट कराया गया, वह पॉजीटिव आई तो उसको वहीं पर आइसोलेट किया गया है। उसके परिवार का सर्वे कराया है, वहां किसी को बुखार, जुकाम सहित कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दिए, इसलिए सेंपलिंग कराना उचित नहीं समझा।

डॉ. महेन्द्र यादव, महामारी निरोधक विशेषज्ञ

जिले भर के अस्पतालों में पांच- पांच बेड संरक्षित किए गए हैं। बीएमओ द्वारा ऑक्सीजन कांसस्ट्रेटर की गिनती कर उनको तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। जिला मुख्यालय पर सेंपलिंग की कोई व्यवस्था नहीं हैं, अगर कोई संदिग्ध मरीज आता है तो उसको एंबुलेंस से ग्वालियर मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा, वहां उसकी जांच होगी।

डॉ. पदमेश उपाध्याय, सीएमएचओ