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मुरैना में दस दिवसीय शिक्षण शिविरों का हुआ शुभारंभ

जैन मुनि ने कहा कि वर्तमान में हम सभी पाश्चात्य सभ्यता के मोह में अपनी संस्कृति और अपनी परम्पराओं से विमुख होते जा रहे है। हम सभी को इन ग्रीष्मकालीन शिविरों के माध्यम से ज्ञान तो प्राप्त करना ही है, साथ ही अपने बच्चों में नवीन संस्कारों का बीजारोपण भी करना है।

मुरैनाMay 29, 2025 / 03:07 pm

Ashok Sharma

मुरैना. हम सभी को ज्ञान की आराधना के लिए शिक्षण शिविरों का माध्यम मिल रहा है। निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज ज्ञान की पिपासा को प्राणीमात्र तक पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। इन शिक्षण शिविरों के माध्यम से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। वर्तमान में हम सभी पाश्चात्य सभ्यता के मोह में अपनी संस्कृति और अपनी परम्पराओं से विमुख होते जा रहे है। हम सभी को इन ग्रीष्मकालीन शिविरों के माध्यम से ज्ञान तो प्राप्त करना ही है, साथ ही अपने बच्चों में नवीन संस्कारों का बीजारोपण भी करना है। उक्त उदगार जैन मुनि विलोक सागर महाराज ने श्री दिगंबर बड़े जैन मंदिर में श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर के शुभारंभ के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस वर्ष भी आचार्य विद्यासागर, आचार्य समयसागर, आचार्य आर्जवसागर, मुनि विलोकसागर, मुनि विबोधसागर महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज की पावन प्रेरणा से बाल ब्रह्मचारी संजय भैयाजी ( मुरैना वाले) के निर्देशन में श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर जयपुर द्वारा भारत एवं देश विदेश में जैन परंपरानुसार श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविरों का आयोजन ग्रीष्मकालीन अवकाश में किया जा रहा है। धर्म नगरी मुरैना में उक्त शिविरों का आयोजन नगर के श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर एवं श्री गोपाल दिगंबर जैन संस्कृत विद्यालय में 25 मई से शुरू हो चुका है, जो कि 03 जून तक चलेगा।

शिविर शुभारंभ में श्रेष्ठिवर्ग का योगदान

शिविर के शुभारंभ पर वरिष्ठ एडवोकेट करन सिंह, योगेंद्र जैन ने ध्वजारोहण, एडवोकेट पदमचंद सिद्धार्थ जैन ने चित्र अनावरण एवं प्रेमचंद पंकज जैन ने दीप प्रज्ज्वलन कर शिविर का शुभारंभ किया। मंगल कलश स्थापना यतींद्रकुमार संजय जैन, महावीरप्रसाद विमल जैन, ममता जैन सरला जैन द्वारा एवं मां जिनवाणी की स्थापना मुन्नीदेवी राजकुमार वरैया, नेमीचंद विमल जैन, मुन्नालाल रोबिन जैन, महेशचन्द्र बनबारीलाल जैन ने की।

श्रुति पंचमी पर निकाली जाएगी भव्य जिनवाणी शोभायात्रा

श्रुत पंचमी महामहोत्सव युगल मुनिराजों के पावन सान्निध्य में 31 मई को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाएगा। श्रुति पंचमी दिगंबर जैन समाज का अति उत्साह से मनाया जाने वाला पर्व है। यह प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। दिगंबर जैन परंपरा के अनुसार श्रुति पंचमी पर्व, ज्ञान की आराधना का महान पर्व है, जो जैन भाई-बंधुओं को वीतरागी संतों की वाणी सुनने, आराधना करने और प्रभावना बांटने का संदेश देता है। श्रुति पंचमी को ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है। ज्ञान पंचमी जैन समाज द्वारा अपने शास्त्रों के महत्व को पहचानने के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है। धार्मिक पुस्तकालयों में संरक्षित पुस्तकों की साफ सफाई कर उनकी पूजा की जाती है। पुस्तकों और लेखन उपकरणों से जुड़े अनुष्ठान किए जाते हैं। सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की जाती है। श्रुति पंचमी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक ज्ञान को प्राणी मात्र में प्रचारित करने का एक उद्देश्यपूर्ण दिन है। महामहोत्सव के पावन पर्व पर बड़े जैन मंदिर से गाजे बाजे के साथ भव्य जिनवाणी यात्रा निकाली जाएगी। मां जिनवाणी एवं जैन शास्त्रों को चांदी की पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया जाएगा। जिनवाणी भव्य चल समारोह में पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्र, महिलाएं केसरिया साड़ी एवं बालिका मंडल, महिला मंडल एवं विद्यासागर पाठशाला के छात्र अपने विशेष परिधान में शामिल होगें।

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