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चंबल नदी में जहां घडिय़ाल अधिक, वहीं पर रेत का अवैध उत्खनन ज्यादा

- टास्क फोर्स की निकली हवा, कार्रवाई सिर्फ बैठकों तक सिमटी

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चंबल नदी में जहां घडिय़ाल अधिक, वहीं पर रेत का अवैध उत्खनन ज्यादा

चंबल नदी में जहां घडिय़ाल अधिक, वहीं पर रेत का अवैध उत्खनन ज्यादा


मुरैना. चंबल नदी में जहां घडिय़ाल अधिक पाए जाते हैं, वहीं पर रेत का अवैध उत्खनन ज्यादा हो रहा है। वन विभाग की मानें तो राजघाट पुल से भिंड की तरफ घडिय़ाल अधिक पाए जाते हैं और इसी क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन बड़े स्तर पर हो रहा है। रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन को रोकने के लिए वन विभाग ने कार्रवाई से हाथ खड़े कर दिए हैं और अन्य विभागों की कार्रवाई करने में कोई रुचि नहीं हैं। वन विभाग, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने खुली छूट दे रखी है। रात दिन चंबल नदी राजघाट सहित जिले भर में कई जगह रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन बड़े स्तर पर हो रहा है। हाइवे सहित शहर से सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली चंबल रेत भरकर आसानी से गुजरते रहते हैं लेकिन किसी की मजाल है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करे।
जिला व संभाग स्तर पर रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन को रोकने के लिए टास्क फोर्स गठित है। संभाग में कमिश्नर और जिला टास्क फोर्स के अध्यक्ष स्वयं कलेक्टर हैं। इनके द्वारा टास्क फोर्स की बैठक तो की जाती है लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाती है। धरातल पर टास्क फोर्स की कार्रवाई न के बरावर है। बैठक में दिशा निर्देश जारी कर उसकी रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को भेज दी जाती है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। विडंवना है कि अधिकारी जब मुरैना में आते हैं तो बड़ी बड़ी डींग मारते हैं कि लेकिन जब काम करना शुरू करते हैं तो रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पसीना छूट जाता है।
वन नाके पर नहीं होती चेकिंग........
हाइवे पर वन विभाग का नाका स्थापित है। यहां एसएएफ का फोर्स भी तैनात है। लेकिन माफिया के डर से फोर्स अंदर कमरे में बैठता है, हाइवे पर नाके से रात दिन चंबल रेत से भरे सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली आसानी से निकल रहे हैं। यहां कोई चेकिंग नहीं होती और न कार्रवाई की जा रही है। इसके चलते माफिया के हौंसले बुलंद हैं।
खुलेआम लग रही हैं शहर में रेत की मंडी..........
शहर में फ्लाइओवर के पास हाइवे, अंबाह बाइपास, बड़ोखर, न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पलिया कॉलोनी सहित अन्य स्थानों पर खुलेआम रेत मंडी लग रही हैं। पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि शहर में रेत की मंडियां नहीं लगना चाहिए। निर्देश के बाद एक दो दिन संबंधित थाना पुलिस फोर्स ने उछल कूद की लेकिन उसके बाद फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठ गए।
पुलिस पिटी फिर भी नहीं हुई कार्रवाई ........
फाटक बाहर बड़ोखर चौराहे पर पिछले माह रेत मंडी से स्टेशन रोड थाने की गाड़ी निकली तो रेत माफिया के लोगों ने उस पर हमला कर दिया। सरकारी वाहन के कांच फोड़ दिए और पुलिस कर्मचारी की इतनी मारपीट की, वह मौके पर ही बेहोश हो गया था। विडंवना देखिए कि पुलिस ने एक दिन भी वहां दबिश नहीं दी और माफिया दूसरे दिन से ही वहीं पर रेत मंडी लगा रहा है।
सबसे अधिक घडिय़ाल राजघाट पुल से भिंड तक ............
वन विभाग का मानना है कि घडिय़ाल सबसे ज्यादा चंबल नदी में राजघाट पुल से भिंड तक ऊपरी हिस्से में पाए जाते हैं। क्योंकि पथरीले इलाके में घडिय़ाल कम पाए जाते हैं। और राजघाट पुल से श्योपुर तक निचले एरिया में पत्थर ज्यादा पाया जाता है। जब भी घडिय़ालों की गिनती है तब निचले एरिया में घडिय़ाल अधिक पाए जाते हैं।
यहां होता है अवैध उत्खनन.........
जिले में चंबल नदी के किनारे सबसे ज्यादा रेत का अवैध उत्खनन इन दिनों राजघाट चंबल पुल के ऊपरी हिस्से में हो रहा है। इसके अलावा सरायछोला थाना क्षेत्र के अन्य घाट, देवगढ़, चिन्नोंनी, नगरा, महुआ, दिमनी, अंबाह, टेंटरा, रामपुर कलां और सबलगढ़ थाना क्षेत्र में करीब एक सैकड़ा चंबल नदी के घाटों पर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है।
वोटिंग वाले स्थान पर माफिया कर रहा उत्खनन .........
चंबल नदी में राजघाट पुल पर वन विभाग इन दिनों वोटिंग चालू है। यहां दूर दूर तक के सैलानी वोटिंग का लुत्फ उठाने आ रहे हैं। लेकिन इस साल रेत माफिया ने उसी स्थान पर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जहां वोटिंग होती है। वोटिंग का समय सुबह नौ बजे शाम पांच बजे तक है। इसी दौरान वहां सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली में लोडर के द्वारा रेत भरा जाता है।
फैक्ट फाइल
- २००० से अधिक टै्रक्ट ट्रॉली रेत का अवैध उत्खनन हो रहो है रोजाना राजघाट से
- १००० से अधिक टै्रक्टर ट्रॉली रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है सिकरवारी क्षेत्र से।
- १५०० से अधिक टै्रक्टर ट्रॉली रेत का अवैध उत्खनन हो रहा दिमनी, अंबाह, पोरसा क्षेत्र से।
- १००० से अधिक टै्रक्टर ट्रॉली रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है सबलगढ़ क्षेत्र से।
- २१७६ घडिय़ाल हैं चंबल नदी में।
- ८८६ मगरमच्छ हैं चंबल नदी में।
- ३०० घडिय़ाल पल रहे हैं देवरी केन्द्र पर।
कथन
- चंबल नदी में पर रेत उत्खनन को रोकना हमारे अकेला का काम नहीं हैं। मैं अभी भोपाल हूं, लौटकर टास्क फोर्स के साथ बैठक में प्लानिंग कर कार्रवाई की जाएगी।
अमित निकम, डीएफओ, मुरैना