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Jai Mummy Di Movie Review: मम्मियों की लड़ाई में फंसे सनी-सोनाली, निराश करती है ‘जय मम्मी दी’

locationमुंबईPublished: Jan 18, 2020 12:02:48 pm

Submitted by:

Shaitan Prajapat

फिल्म की कहानी सिम्पल-सी है। उसका ट्रीटमेंट बेहद बचकाना। कोई नौसीखिया भी इससे अच्छी फिल्म बना सकता था। पात्रों को स्टैब्लिश करने, कहानी को आगे बढ़ाने में …

Jai Mummy Di Movie Review

Jai Mummy Di Movie Review

फिल्म : जय मम्मी दी
निर्देशक: नवजोत गुलाटी
सितारे: सनी सिंह, सोनाली सहगल, सुप्रिया पाठक कपूर, पूनम ढिल्लन और अन्य
रन टाइम: 103 मिनट
रेटिंग: 1/5


जब आपके पास एक लाइन की कहानी हो और उसे बिना दिमाग लगाए फुल लेंथ फीचर फिल्म में कन्वर्ट करने कहा जाए, तब आप क्या करेंगे? कुछ नहीं बस रिलीज हुई फिल्म ‘जय मम्मी दी’ देख लीजिए। इस फिल्म को ‌अगर आप फिल्म मान लेते हैं तो समझ जाइए आप एक क्या, आधी लाइन की कहानी से भी फिल्म बनाने की काबिलियत रखते हैं।
Jai Mummy Di
कहानी
दिल्ली में रहनेवाले दो पड़ोसी परिवारों के बच्चे पुनीत (सनी सिंह) और सांझ (सोनाली सहगल) एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उनके प्यार की राह में रोड़ा बन जाती है दोनों की मम्मियों की ‌पुरानी दुश्मनी। पुनीत की मां लाली (सुप्रिया पाठक) और सांझ की मम्मी पिंकी भल्ला (पूनम ढिल्लन) की दुश्मनी पूरे मोहल्ले में मशहूर है। इन्हीं दोनों मम्मियों की दुश्मनी के चलते पुनीत और सांझ अलग-अलग लोगों से शादी करने का फैसला करते हैं, पर ऐन शादी के पहले दोनों की फीलिंग्स जाग जाती हैं। उसके बाद सांझ और पुनीत उल्टे-सीधे तरीके से एक होने की कोशिश करते हैं। निर्देशक इन्हीं तरीक़ों के दरम्यान हास्य के पल खोजने की कोशिश करते हैं। जिस कोशिश में वे बुरी तरह नामक रहते हैं।
Jai Mummy Di
डारेक्शन
फिल्म की कहानी सिम्पल-सी है। उसका ट्रीटमेंट बेहद बचकाना। कोई नौसीखिया भी इससे अच्छी फिल्म बना सकता था। पात्रों को स्टैब्लिश करने, कहानी को आगे बढ़ाने में कल्पनाशीलता की नितांत कमी झलकती है। किसी भी कॉमेडी फिल्म में दो तरीके से हास्य पैदा किया जा सकता है, पहला तरीका कुछ अनोखा और अनदेखा घटित हो और दूसरा तरीका-बहुत ही आम-सी घटना घटे, पर उसका फिल्मांकन इतना सूक्ष्म हो कि हम उसकी बारीकी पर हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएं। हमें लगे ‘अरे ऐसा तो हमारे साथ भी होता है.’ अफसोस इस फ़िल्म में ऐसा कुछ भी नहीं होता। और जो कुछ होता है, उसपर हंसी नहीं आती।
Jai Mummy Di
एक्टिंग
जिस तरह निर्देशक ने निराश किया है, उसी तरह इसके लीड कलाकारों के बेमन से किए गए अभिनय ने भी फ्रस्टेट किया हैं। सनी सिंह के पास मौका था, छा जाने का। पर उन्होंने इसे जाया कर दिया है। सोनाली सहगल कभी-कभी अपनी भूमिका में आती दिखती हैं, पर ज्यादातर समय प्रभावहीन ही लगती हैंं। मम्मी के नाम की फिल्म थी तो जाहिर है मम्मियों के किरदार प्रभावशाली होते, पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। निर्देशक समझ नहीं पाए कि किस किरदार को प्रमुखता से पेश करना चाहिए और किसे नहीं। इस चक्कर में वे किसी के साथ भी ढंग से ट्रीटमेंट नहीं कर पाते।
क्यों देखें
डायलॉग्स, गाने, स्क्रीन प्ले सब के सब औसत के नीचे हैं। इन सबके बावजूद आप इस फिल्म को झेलने का फैसला करते हैं तो आपको भगवान ही बचाएं। नहीं, नहीं मम्मी जी ही बचाएं।
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