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जर्जर इमारतों से पांच साल में 52 मौतें, परिजनों को नहीं मिली सहायता

पांच वर्षों से दुर्घटना ग्रस्त परिवारों को बीमा निधि से मदद नहींं म्हाडा का 10 करोड़ का खजाना

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जर्जर इमारतों से पांच साल में 52 मौतें, परिजनों को नहीं मिली सहायता

- रोहित के. तिवारी
मुंबई. म्हाडा के जर्जर इमारतों से पिछले पांच साल में 52 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 73 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। करीब 10 करोड़ रुपए का बीमा निधि होने के बावजूद म्हाडा ने इन पीडि़त परिवारों को एक पाई की भी सहायता नहीं दी है।
म्हाडा की खतरनाक इमारतों की वजह से हर साल हादसों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। म्हाडा ने इन घटनाओं में मरने वाले लोगों के परिजनों की सहायता के लिए बीमा निधि बनाई है। परंतु इस राशि से पिछले पंाच वर्षों के दौरान किसी भी तरह की मदद नहीं की गई है। बताया जता है कि इसके प्रति लोगों व अधिकारियों में जानकारी का अभाव है। दुर्घटना में घायल या मृत लोगों को अब तक किसी भी तरह की कोई मदद राशि नहीं दिया जाना हैरान करने वाली खबर है।


पांच लाख की सहायता का है प्रावधान
विदित हो कि म्हाडा प्राधिकरण ने 8 मई 2014 को जर्जर इमारतों के लिए अन्वय 6657 के अनुसार प्रस्ताव को मान्य कर अपघात बीमा योजना के में तहत दुर्घटनाग्रस्तों के लिए 10 करोड़ की निधि फंड में रखी थी। इसके तहत म्हाडा की कोई भी इमारत और चॉल दुर्घटनाग्रस्त होने पर अधिक गंभीर जख्मी को एक लाख रुपए तो वहीं जख्मी को 50 हजार रुपए, जबकि मृतक के वारिसदार को पांच लाख रुपए की राशि मुकर्रर की गई थी। साथ ही इस मामले को लेकर बाकायदा शासनादेश भी जारी किया जा चुका है। इसके बावजूद 2014 से 2018 तक पांच वर्षों में अभी तक किसी भी दुर्घटनाग्रस्त रहिवासी को इस योजना का लाभ नहीं पहुंचाया जा सका है।

प्राधिकरण बैठक मेंं लेंगे निर्णय
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बैठक में विस्तार से चर्चा की जाएगी और विभिन्न दुर्घटनाओं में घायल व मृतकों को ध्यान में रखते हुए उन्हें मदद के तौर पर उचित धनराशि दी जाएगी।
विनोद घोसालकर, प्रेसिडेंट, रिपेयर बोर्ड