27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डायरेक्टर के बगैर चल रहा बालभारती पाठ्य पुस्तक निर्मिति मंडल

शिक्षाविद् नहीं, प्रिंटिंग के जानकार तय कर रहे हैं हमारे बच्चे क्या पढ़ेंगे छह महीने से खाली है पद, नए सत्र में सिलेबल पर करनी होगी मशक्कत

2 min read
Google source verification
डायरेक्टर के बगैर चल रहा बालभारती पाठ्य पुस्तक निर्मिति मंडल

डायरेक्टर के बगैर चल रहा बालभारती पाठ्य पुस्तक निर्मिति मंडल

नागमणि पांडेय
मुंबई. राज्य भर में शैक्षणिक सत्रों के पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने देने वाले सरकार के संगठन का प्रशासन बगैर मुखिया के चल रहा है। हैरत इस बात की है कि जो जिस विषय का जानकार नहीं है, उस पर ही पूरा कार्यभार सौंप दिया गया है। यानी राज्य के लाखों विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम तय करने वाले संगठन के प्रति सरकार की उदासीनता से विद्यार्थियों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है।
मामला पुणे के बाल भारती पाठ्य पुस्तक निर्मिति मंडल का है जिसमें पिछले छह महीने से कोई निदेशक नहीं है। इंचार्ज के तौर पर प्रिंटिंग प्रेस के अधिकारी को निदेशक का चार्ज दे दिया गया है। यदि बच्चों की पुस्तक में भूल हो, या सिलेबस में सुधार की जरूरत हो तो यह बगैर निदेशक के रहते कैसे हो पाएगा, कहना मुश्किल है।
राज्य भर के शैक्षिणक पाठ्यक्रम की पुस्तकों को मंडल तैयार करता है। आगामी शैक्षणिक वर्ष से तीसरी और 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव होना तय है। इसके बावजूद पाठ्यक्रम निर्मिति मंडल का कार्य प्रिंटिंग प्रेस के इंचार्ज के भरोसे चल रहा है।


पुणे में मंडल का मुख्यालय
राज्य में पहली से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं का पाठ्यक्रम पुणे स्थित बालभारती पाठ्य पुस्तक निर्मिति मंडल तैयार करता है। अमूमन हरेक साल पाठ्यक्रम में किसी न किसी तरह से बदलाव होते रहता है। इसके लिए इस मंडल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मंडल में आखिरी निर्णय डायरेक्टर का होता है, लेकिन डायरेक्टर के नहीं होने से पिं्रटिंग प्रेस के हेड को इंचार्ज बनाया गया है, जो अब इसमें निर्णय लेंगे।


जुलाई में हुए थे रिटायर्ड
मंडल के डायरेक्टर पद पर कार्यरत सुनील मगर जुलाई 2019 में रिटायर्ड हो हुए थे। तब से लेकर अभी तक इस पद पर किसी को नियुक्त नहीं की गई है। निर्मिति मंडल किताबों की गुणवत्ता के साथ ही पाठ्यक्रम में बदलाव पर निर्णय लेता है। पाठ या अन्य किसी तरह के बदलाव में अंतिम निर्णय डायरेक्टर लेता है, लेकिन डायरेक्टर के सेवानिवृत होने के बाद इसका चार्ज किताबों की छपाई करने वाले प्रिंटिंग विभाग के इंचार्ज गोसावी को सौंपा गया है। गोसावी प्रिंटिंग से संबंधित जानकार हैं, परंतु उनके किताबों की पाठ्य सामग्री के बारे में निपुणता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शिक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टरों का पद खाली रहने की वजह से यह हालात पैदा हुए हैं।

प्रशासकीय कार्य प्रभावित हो रहा
पाठपुस्तक निर्मिति मंडल में किताबों की गुणवत्ता को लेकर कई तरह के प्रशासनिक निर्णय लेने पड़ते हैं, लेकिन डायरेक्टर के पद खाली होने से यह कार्य प्रभावित हो रहा है। शिक्षा से सीधे जुड़े होने के कारण उन्हें सिलेबल से जुड़ी इन सब चीजों की पूरी जानकारी होती है।


अनुभव के कारण बने इंचार्ज
गोसावी प्रिंटिंग विभाग के इंचार्ज हैं, उन्हें इसका लंबा अनुभव है। इस अनुभव को देख कर ही मंडल का कार्यभार सौंपा गया है। पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। जल्द ही डायरेक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
अलका पोतदार, विशेषाधिकारी, पाठपुस्तक निर्मिति मंडल