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122 करोड़ के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक फ्रॉड मामले में बड़ा खुलासा, पूछताछ में पूर्व GM ने उगले राज!

New India Cooperative Bank Fraud : 122 करोड़ के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में बैंक के पूर्व जीएम हितेश मेहता और डेवलपर धर्मेश पौन को 21 फरवरी तक पुलिस की हिरासत में भेजा है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Feb 16, 2025

New India Bank fraud Hitesh Mehta

New India Cooperative Bank Scam : मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक फ्रॉड मामले में गिरफ्तार बैंक के जनरल मैनेजर और अकाउंट प्रमुख हितेश मेहता ने बड़ा खुलासा किया है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक फ्रॉड मामले में मेहता समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ईओडब्ल्यू ने आज डेवलपर धर्मेश पौन (Dharmesh Paun) को गिरफ्तार किया है। दोनों को अदालत ने 21 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेजा है।

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपये के घोटाले में बैंक के जनरल मैनेजर हितेश मेहता को गिरफ्तार कर लिया है। यह घोटाला बैंक की दादर और गोरेगांव शाखाओं में हुआ। बैंक के ऑडिट के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया।

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ईओडब्ल्यू ने इस मामले में डेवलपर धर्मेश पौन को रविवार को गिरफ्तार किया और एक अन्य आरोपी की तलाश कर रही है। जांच से पता चला कि पौन ने गबन की गई रकम में से 70 करोड़ रुपये लिए है। उसने मुख्य आरोपी हितेश मेहता से भी पैसा लिया था। दोनों आरोपियों को आर्थिक अपराध शाखा ने रविवार को कोर्ट में पेश किया।

मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व जीएम हितेश मेहता और डेवलपर धर्मेश पौन को 21 फरवरी तक ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेज दिया है।

कोविड काल से चल रहा था स्कैम

12 फरवरी को आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने जब बैंक का ऑडिट किया तो रिकॉर्ड और वास्तविक नकदी में भारी अंतर पाया गया। जांच में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की प्रभादेवी शाखा से 112 करोड़ और गोरेगांव शाखा से 10 करोड़ रुपये गायब मिले। इसके बाद बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया।

ईओडब्ल्यू की टीम ने शनिवार को हितेश मेहता के दहिसर स्थित घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआती पूछताछ में हितेश मेहता ने कबूल किया है कि उसने बैंक की तिजोरी से पैसे निकाले और कुछ परिचितों को दिए। मेहता ने यह भी स्वीकार किया कि वह कोविड-19 महामारी के समय से ही यह फ्रॉड कर रहा था।

मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने दादर थाने में मेहता और अन्य के खिलाफ बैंक के पैसे के कथित दुरुपयोग के सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई है। उनकी शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 (5) और 61 (2) के तहत केस दर्ज किया गया और जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई। अब ईओडब्ल्यू यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि गायब हुए 122 करोड़ रुपये कहां हैं और इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल है।