Bombay High Court on CM Eknath Shinde Power: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री को अन्य विभागों के मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
Chandrapur Co-operative Bank: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक फैसले को पलटते हुए उनकी कार्यशैली की आलोचना की है। एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास किसी अन्य मंत्री को सौंपे गए विषय में हस्तक्षेप करने की स्वतंत्र शक्तियां नहीं हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फैसले को राज्य के सहकारिता मंत्री के फैसले में दखलंदाजी करार देते हुए रद्द कर दिया है। जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मीकि एसए ने चंद्रपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (Chandrapur District Central Co-operative Bank) की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने वाले मुख्यमंत्री के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह विषय सहकारिता मंत्री के अधिकार में आता है। यह भी पढ़े-Maharashtra: ‘... हम मूर्ख हैं क्या’, महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष के बयान से शिंदे गुट नाराज, विपक्ष ने ली चुटकी
इसके पीछे तर्क दिया गया कि मंत्री के अलावा संबंधित विभाग के लिए कोई सर्वोच्च या पर्यवेक्षण प्राधिकरण नहीं है। इसलिए सहकारिता विभाग के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का मुख्यमंत्री का अधिकार नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है।
मालूम हो कि चंद्रपुर जिले में बैंक की 93 शाखायें है। इसमें 885 कर्मचारियों के स्टाफ पैटर्न को मंजूरी दी गई है, जिसमें से वर्तमान में 393 पद खाली हैं। बैंक के प्रस्ताव पर सहकारिता आयुक्त ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी। नतीजतन, बैंक ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करते हुए भर्ती एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित करते हुए सार्वजनिक विज्ञापन जारी किया।
हालांकि, 12 मई 2022 को संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार (सहकारी समितियां) ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी. इसके बाद बैंक (याचिकाकर्ता) ने यह मामला सहकारिता मंत्री अतुल सावे के समक्ष उठाया, जिन्होंने 23 नवंबर 2022 को भर्ती प्रक्रिया पर लगे रोक को हटा दिया। हालांकि, 29 नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री ने फिर से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
इसके बाद चंद्रपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक ने हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की और मुख्यमंत्री द्वारा भर्ती के फैसले पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दिया था। जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री को अन्य विभागों के मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।