क्या कहते हैं आला अधिकारी राज्य के असंगठित कर्मचारी विभाग के अधिकारी श्रीरंगन ने कहा कि हम अभियान चलकर बड़ी संख्या में मजदूरों का पंजीकरण कर रहे है। नियमों में ढिलाई देकर लाभार्थीयों की संख्या बढ़ रही है। पिछले दो वर्ष में 3.5 लाख से अधिक नए पंजीकरण किए गए हैं। 60 रुपए शुल्क के साथ 5 वर्ष की सदस्यता उन्हें दी जाती है। इसके लिए वर्ष भर में 90 दिन काम का प्रमाण उन्हें देना पड़ता है। योजना के लिए 16 से 60 वर्ष की आयु तक के मजदूर ही पात्र हैं। इस योजना में मजदूर को प्रत्येक बड़ी बीमारी के इलाज के लिए सहायता राशि, बीमा, मजदूरों को औजार के लिए, बच्चों को इंजीनियर और डाक्टर की पढ़ाई के लिए प्रत्येक वर्ष एक लाख रुपए तक अनुदान मिलता है। कामगार मंत्री, संभाजी पाटील निलंगेकर ने मजदूरों की समस्या पर जोर दिया है। हमने तेजी से 4 लाख नए सदस्य बनाये हैं। हाल ही में तीसरी बार मजदूरों के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया गया है।
रजिस्टर में नाम तक नहीं दर्ज करते ठेकदार मजदूरों को कम मेहनताना के साथ रजिस्टर पर उनका नाम तक नहीं दर्ज करते हंै। ठेकदार जितना मजदूरों की संख्या को दर्शाएगा, उसे उतने ही मजदूरों की सुरक्षा, वित्तीय और सामाजिक जिम्मेदारी का वहन करना पड़ता है। टैक्स सहित अन्य जिम्मेदारियों से बचने के लिए ठेकेदार महामंडल में सदस्यता के लिए लगने वाले 90 दिन का प्रमाणपत्र भी नहीं देता है। उधर विभाग भी उन्हें आधार कार्ड, पैनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशनकार्ड, वोटर कार्ड की मांग करता है। बिल्डर को भी इसमे फायदा ही मिलता है। कुल निर्माण कार्य की कीमत का एक प्रतिशत देकर वह मुक्त हो लेता है। ऐसे में मजदूर चाहकर और पात्र होकर भी वंचित होते है। सरकारी आकड़ों के अनुसार राज्य में बांधकाम क्षेत्र में कुल 28 लाख असंगठित मजदूर हैं। अब भी 17 लाख से अधिक मजदूर महामंडल के सदस्य नहीं है , पिछले 7 वर्षों में सिर्फ 11 लाख मजदूर ही पंजीकृत किये गए हैं।