
Dwarka-Somnath Darshan : पहले छुपकर कर जाते थे, अब गाजे-बाजों के साथ विदा होते हैं
पुणे. घर परिवार को बिना बताए अपने इष्ट मित्रों के साथ द्वारका जाना और वहां श्री कृष्ण के दर्शन कर लौटने पर ही घर परिवार को जानकारी होती थी कि उनके पारिवारिक सदस्य द्वारका धाम यात्रा कर लौटे हैं ।जिन्हें पूरा गांव ढोल- डमको से बधायां करता था। सदियों से चली आ रही इसी परिपाटी में हुए परिवर्तन से रूबरू हुए Patrika .com/mumbai-news/maharashtra-news-pune-city-5495614/" target="_blank">पुणे महानगर के लोग।
विभिन्न जातियों के लोगों का एक समूह आज जब द्वारका में श्री कृष्ण के तथासोमनाथ में बाबा महादेवके ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर यहां लौटा, तो ना केवल इनके परिवार के लोगों ने बल्कि नाते रिश्तेदारों के अलावा महानगर के विभिन्न वर्गों के गणमान्य लोगों ने गाजों बाजों से बधायां, महिलाओं ने मंगल गीत गाए और सैकड़ों लोगों के लिए मंगल प्रसादी का आयोजन किया गया।
कृष्ण ने भी छुपकर कर बसाई थी द्वारिका
मथुरा में गोपियों के अति स्नेह के कारण कृष्ण का मथुरा छोड़ना मुश्किल था और गोपियां भी उन पर कड़ी नजर रखती थी और यही कारण था कि कृष्ण मथुरा वासियों को बिना बताए द्वारिका बसाने चले गए थे। विद्वजन एक और कारण बताते हैं कि जरासंध राक्षस से मथुरा वासियों को सुरक्षित ले जाकर उन्हें बचाए रखने के इरादे से कृष्ण ने बिना किसी को जानकारी दिए गुपचुप रूप से द्वारिका बसाई थी। पश्चात सभी मथुरा वासियों को वह द्वारिका ले आए थे।
बिबवेवाडी स्थित आई माता मंदिर परिसर शुक्रवार को इन कृष्ण भक्तों की भीड़ के आगे छोटा पड़ गया । गोड़वाड़ क्षत्रिय सीरवी समाज के अध्यक्ष खीमाराम एवं उनके मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने सभी कृष्ण भक्तों को मालाएं पहनाकर स्वागत किया। महिलाओं के समूह का गुलाब बाई शर्मा, सुशीलाबाई तथा प्रतिभा बाई शर्मा ने मंगल कलशो के साथ स्वागत किया। वयोवृद्ध उमेदराम शर्मा को उनके समाज के दर्जनों लोगों ने साफे बंधा कर अभिनंदन किया। यात्रा की जानकारी देते हुए मुकेश भाई एवं राजू भाई शर्मा ने बताया कि वैदिक काल से द्वारका जाने वाले लोग घर को बिना बताए जाया करते थे, लेकिन समय अनुसार अब परिवर्तन हुआ है और गाजों बाजों के साथ तीर्थ यात्रा के लिए जाते हैं और लौटने पर उन्हें बधा कर लिया जाता है।
Published on:
13 Dec 2019 07:16 pm
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