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Ganesh Chaturthi: समुद्र किनारे यहां विराजमान है ‘पश्चिम द्वार के देवता’ गणपति, 14वीं सदी में खुद प्रकट हुई थी मूर्ति

Ganpatipule Ganpati : ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति स्वयंभू है यानी यह अपने आप प्रकट हुई थी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Aug 28, 2025

Ganpatipule Temple

गणपतिपुले मंदिर (Photo: Facebook)

Ganpatipule Temple: महाराष्ट्र इस समय गणेशोत्सव के उमंग में डूबा हुआ है। गली-कूचों से लेकर घर-आंगनों तक बप्पा विराजमान हैं और हर कोई श्रद्धा से सराबोर है। इस गणेश उत्सव की छटा के बीच आइए जानते हैं राज्य के उस विख्यात गणपति मंदिर के बारे में, जहां विराजमान गणपति ‘पश्चिम द्वार के देवता’ माने जाते हैं।

महाराष्ट्र का कोंकण तट न केवल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां स्थित भगवान गणपति का प्रसिद्ध ‘गणपतिपुले मंदिर’ भी श्रद्धा और आस्था का बड़ा केंद्र है। रत्नागिरी जिले में समुद्र किनारे बसा यह मंदिर देशभर में अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है।

मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति स्वयंभू है यानी यह अपने आप प्रकट हुई थी। खास बात यह है कि यहां गणपति जी का मुख पश्चिम दिशा की ओर है। इसी कारण इसे भारत के ‘अष्ट गणपतियों’ में से एक ‘पश्चिम द्वार देवता’ माना जाता है।

इतिहास की बात करें तो प्राचीन मंदिर 14वीं शताब्दी का बताया जाता है, जबकि इसका भवन 17वीं शताब्दी में तैयार हुआ। करीब 400 साल पुरानी यहां की गणपति जी की मूर्ति श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि भगवान गणेश एक बार अपने भक्त के स्वप्न में प्रकट हुए और मंदिर स्थापना का आदेश दिया, जिसके बाद उस भक्त ने समुद्र तट पर भगवान गणपति जी के मंदिर का निर्माण करवाया।

गणपतिपुले मंदिर में दर्शन का अनुभव केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक भी है। समुद्र के शांत वातावरण में स्थित यह स्थान भक्ति के साथ-साथ पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। मंदिर में सालभर अनेक उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें दीपोत्सव, दशहरा, भाद्रपद उत्सव, माघ उत्सव, वसंत पूजा और भगवान की पालकी यात्रा विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

गणपतिपुले मंदिर से जुड़ी जरुरी बातें-

गणपतिपुले मंदिर में दर्शन का समय रोजाना सुबह 5 बजे से रात 9:30 बजे तक है। सुबह, दोपहर और शाम की तीनों आरतियां बड़ी श्रद्धा से की जाती हैं। सुबह की आरती 5 बजे से लेकर 5:30 बजे तक होती है। दोपहर की आरती 12 बजे से 12:30 बजे तक होती है। शाम की आरती का 7 बजे से शाम 7:30 बजे तक होती है। मंदिर की ओर से भक्तों को खिचड़ी प्रसाद भी उपलब्ध कराया जाता है, जो दोपहर 12 से 2 बजे तक वितरित होता है।

कैसे पहुंचे?

आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम यह मंदिर हर श्रद्धालु को एक अनोखा अनुभव देता है। गणपतिपुले पहुंचना भी आसान है। रत्नागिरी रेलवे स्टेशन यहां से 30 किलोमीटर दूर है, जबकि निकटतम एयरपोर्ट रत्नागिरी हवाई अड्डा है, जो लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग से भी यह स्थान महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस, कैब सभी के जरिये यहां पहुंचा जा सकता है।

अगर आप गणपतिपुले की यात्रा करें तो गणपति मंदिर के साथ-साथ आसपास के श्री महाकाली मंदिर, श्री कनकादित्य मंदिर, श्री लक्ष्मी-केशव मंदिर, श्री वेलनेश्वर मंदिर, धूत पापेश्वर मंदिर और हेडवी श्री स्वामी स्वरूपानंद तीर्थ मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं।